नाम में परिवर्तन से बादशाहत की पहचान
आप सभी भिज्ञ हैं कि जो देश या राजा ताकतवर होता है वह अन्य सभी देशों या जनताओं को अपने उसूल अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए भय/ प्रेम से अपनी बात / नियम मनवाया जाता रहा है । सदियों से ऐसा मनोवैज्ञानिक या आतातायी या कम अवधि में अपनी अमिट छाप के रुप में पहचान बनाये रखने के उद्देश्य से भी किया जाता रहा है । ऐसे में सबसे आसान काम शहर/ धरोहर/ संस्थान के नाम में परिवर्तन कर जनता के दिल में अमिट छाप या पहचान बनाने की बेचैनी ।
आज के प्रसंग में अमेरिका अपनी ताकत का अहसास इसी स्वरुप में सारे विश्व को करा रहा है । पूर्व में सिकन्दर, तैमूरलंग, बख्तियार खिलजी, लोदी वंश, मुगल वंश, अंग्रेज आदि के कई मिसालें भारत मे है जिसमे शहर, स्टेचू, धरोहर, संस्थान,रोड आदि के नाम उस समय अपनी बादशाहत / ख़ौफ़/ पहचान बनाये रखने के उद्देश्य से किया गया उदाहरण मिलेगा ।
इसे गलत माना भी नहीं जाना चाहिए । यही ताकत की पहचान भी है । जब सत्ता में कोई दूसरा आता है तो परिवर्तन अपने अनुसार कर सकता है ।
आप सभी भिज्ञ हैं कि जो देश या राजा ताकतवर होता है वह अन्य सभी देशों या जनताओं को अपने उसूल अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए भय/ प्रेम से अपनी बात / नियम मनवाया जाता रहा है । सदियों से ऐसा मनोवैज्ञानिक या आतातायी या कम अवधि में अपनी अमिट छाप के रुप में पहचान बनाये रखने के उद्देश्य से भी किया जाता रहा है । ऐसे में सबसे आसान काम शहर/ धरोहर/ संस्थान के नाम में परिवर्तन कर जनता के दिल में अमिट छाप या पहचान बनाने की बेचैनी ।
आज के प्रसंग में अमेरिका अपनी ताकत का अहसास इसी स्वरुप में सारे विश्व को करा रहा है । पूर्व में सिकन्दर, तैमूरलंग, बख्तियार खिलजी, लोदी वंश, मुगल वंश, अंग्रेज आदि के कई मिसालें भारत मे है जिसमे शहर, स्टेचू, धरोहर, संस्थान,रोड आदि के नाम उस समय अपनी बादशाहत / ख़ौफ़/ पहचान बनाये रखने के उद्देश्य से किया गया उदाहरण मिलेगा ।
इसे गलत माना भी नहीं जाना चाहिए । यही ताकत की पहचान भी है । जब सत्ता में कोई दूसरा आता है तो परिवर्तन अपने अनुसार कर सकता है ।