Tuesday, January 2, 2018

मेरा खोया 55 बसन्त

मैंने अपने जीवन के 55 वसंत पूरे कर लिया हूँ और आज हीं की तारीख को रात 11:25 बजे 56 वें वर्ष में प्रवेश करूँगा ।

जिन्दगी अनमोल है जो बहुत कुछ आज तक दिया है परंतु  मैं इस वेला में माँ जो मुझे इस धरा पर अवतरित की उसको खो देने के दुःख से मन और शरीर दोनों बोझिल है । माँ के दूध का कर्ज चुका न सका ।

53 वसन्त तक मेरे जन्मदिन के शुभ अवसर पर पौष मास में जन्म के कारण पुसही खीर, दाल पीठा , गुड़ पीठा , आलू दम व्यंजन के रूप में बनना तय था । बाद के वर्षों में मेरी पत्नी को इसी प्रकार का व्यंजन बनाने हेतु याद दिलाती थी । खैर माँ की परम्परा का अनुपालन हो रहा है । आज के दिन मेरी माँ की खुशी देखते बनती थी ।

मैं इधर कोई भी विशेष दिवस को  माँ की याद में भाव विह्वल होकर उनकी यादों में खोकर शक्तिहीन होने लगता हूँ ।

पिताजी/बहनें/अग्रजों/ अनुजों आपकी शुभकामनाएं का बोझ भी कम नहीं है । मैं अपने सभी अजीज बड़ों एवम छोटों की शुभकामनाओं के लिए व्यथित हूँ क्योंकि मेरे पास मां नहीं है । शायद आपकी दुआएं मां की कमी को पूरा कर दे ।

लगातार की गई मेरी गलती को फिर मेरी माँ की तरह माफ कीजियेगा । सभी बड़ों को प्रणाम और अनुजों को शुभस्नेह ।

माँ!तुझे नमन ।