Friday, October 27, 2017

छठ पर्व की विशेषता



1) यह माटी अर्थात मातृभूमि से जुड़ने को प्रेरित करता है ।
2) यह आधुनिकता की चकाचौंध से दूर यथार्थ दुनिया की वास्तविकता की ओर जागृत करता है ।
3) यह टूटते बिखरते परिवार को संयुक्त परिवार में रहने और उसके प्रभाव की ओर रेखांकित करता है ।
4) यह दो या तीन कमरे के फ्लैट से निकलकर गाँव घर मे ड्योढ़ी आंगन की ओर प्रकृति की गोद मे रहने की प्रेरणा देता है ।
5) यह शहरीकरण की व्यस्ततम जिन्दगी से दूर माँ की पथराई आंखों से कम से कम एक बार टकटकी लगाकर निहारने से माँ की दूध का कर्ज का अहसास दिलाता है ।
6) यह मनुष्य के एक सामाजिक प्राणी होने का सुखद अहसास दिलाता है ।
7) यह समानता समरसता का पाठ सीखाते हुए गरीबी-अमीरी, जात-पात, ऊँच-नीच का भेद-भाव को मिटाता है ।
8) यह प्रकृति की महत्त्वपूर्ण योगदान और उसके होने का अहसास कराता है ।
9) यह स्वच्छता का पाठ पठाता है ।
7) यह प्रकृति से बनने वाले जीवन यापन के संसाधनों से जुड़ने के अवसर के साथ आत्मनिर्भरता का पाठ पठाता है ।
8) यह मैं और हमलोग में अन्तर को प्रयोगकर, मैं हीं श्रेष्ठ हूँ यह मिथ्या है, बखूबी समझाता है ।
9) यह नारी शक्ति का अहसास दिलाता है ।
10) यह खाने में शुद्धता और पवित्रता के महत्व को समझाते हुए शाकाहारी बनने की ओर जागृत करता है ।
11) जंकफूड की ओर प्रेरित सभ्यता को रफेज़ अर्थात रुखड़ा मोटा अनाज खाने जैसे कद्दू दाल, सेंधा-नमक, अगस्त के फूल, लकड़ी की अंगीठी पर मिट्टी के चूल्हे में खाना पकाने, गुड़ से बने व्यंजन खीर और ठेकुआ , जांता का पीसा आँटा , लडुआ , प्रकृति तुच्छ फल की आवश्यकता और महत्ता आंवला, शकरकंद, सुथनी, त्रिफला, ईख, पनीफल सिंघाड़ा, आदि की वास्तविकता और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी आम या चिड़चिड़ी का दतवन होने के अहसास से रूबरू कराता है ।
12) यह भारत की समाज की विविधता की महत्ता के साथ साथ गरीबी से जूझने वाले कुटीर उद्योग जैसे मिट्टी के बर्तन, चूल्हा, सिलौटी-लोढ़ी, सुप, दौरा, गोईठा, आम की लकड़ी से जुड़े व्यवसायिक ग्रामीण जनता की आर्थिक श्रोत को मजबूती प्रदान करता है ।
13) यह पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करने की प्रेरणा के साथ साथ एकोफ़्रेंडली  और sustainable development की तरफ मनुष्य को प्रायोगिक रुप मे जगृत करता है ।
14) इसमें मंत्र , पुरोहित पर आश्रित रहने से मुक्त होने की सिख देता है ।
15) यह बिहार की विरासत और गौरवशाली इतिहास के साथ साथ संस्कृति, गणतन्त्र, भाईचारा .... के संदेश को विश्व भर मे सबक के रुप में प्रत्येक वर्ष याद कराता है ।