Sunday, November 30, 2014

भारत की नयी बादशाहत की गाथा

कहाँ से शुरू करूं और कहाँ पर ख़त्म, समझ में नहीं आता है । 2014 का लोकसभा का चुनाव में जनता का स्पष्ट आदेश की नमो के नेतृत्व में हिन्दुस्तान की किस्मत सौंप दी जाय । पूर्ववर्ती सरकार में केजरीवाल, अन्ना  हज़ारे, रामदेव , दिल्ली में बलात्कार, मंहगाई, भ्रस्टाचार आदि से कांग्रेस के प्रति पनपा आक्रोश आज़ादी की इतिहास लिखनेवाली दल की नींव हिलाकर मोदी के नेतृत्व में भारत के भविष्य को सौप दिया ।

यहाँ से भाजपा की दूसरी पाली की शूरूआत हूई । लोगों में भाजपा के नेतृत्व के प्रति आशा जग गयी ।वर्तमान सरकार विदेशो  में celebreties की तरह पॉपुलर हो रही है । देश के अंदर रेल में सुविधा के नाम पर चतुराई से जोर का झटका धीरे से दिया गया । मैं प्रार्थना करता हूँ कि आनेवाले दिनों में भारत की रेल व्यबस्था में सुधार होगा ।

अब भारत स्वच्छता योजना की धूमधाम से हूई शूरूआत भारत में गंगा एवं अन्य स्वच्छता का आने वाले दिनों में कितना लोगों तक पहुँचता है यह आनेवाले समय में समीक्षा की जायेगी । भारत में इस योजना के क्रियान्वयन की अब तक कोई विशेष रूपरेखा नहीं दिखती है । लेकिन इसमें भी स्टारडम एवं प्रचार प्रसार कानफोडू है । आशा करता हूँ कि आनेवाले समय में गंगा प्रदूषण से मुक्ति की तरफ बढ़ेगी और लोगों में स्वछता के प्रति लगाव बढ़ेगा ।

2014 के चुनाव के समय नौजवानो को दिया गया अश्वासन एक वर्ष तक भारत में नौकरी नहीं देने की घोषणा से भविष्य में युवाओं के प्रति स्नेह परिलक्षित होता है ।

कालाधन वह भी विदेशों में जमा ...हम होंगे कामयाब हम होंगे कामयाब एक दिन..परंतु श्रीमान जेटली जो वकील के रूप में अपने एक एक शव्द का कैलकुलेटर से जोड़कर वहस की फीस तय करते थे आज उनहें CRICKET आदि से ज्यादा प्रेम देश की गरीबी उन्मूलन एवं काला धन देश में  बिना फीस के लाने का ज्ञान और समय मिल गया है ।

कुल मिलाकर ऐसा लगता है या मीडिया , TV, समाचार पत्र में दिखता है कि नमो के रूप में महामानव के हाथों में देश की गद्दी सौंप दी गयी है जो भारत को समषय। से निज़ात दिलाएगा । क्या देश में TV, मीडिया, पत्रकारिता को स्पषट लेखनी राहु केतु के द्वारा ग्रह लिया गया है । क्या भारतको एक CELEBRETY, सस्टारडम जैसा नायक चाहिए जो मीडिया की मदद से जनता तक अच्छी सुन्दर प्रवचन देनेवाला प्रशासक की नयी परिभाषा गढ़े। देश में समाज सेवी संस्था या राष्ट्र प्रेम संदेशवाले व्यक्ति की कमी हो गयी है । वैसे भी गुजराती व्यवसाय अर्थात नफा कमानेवाले के रूप में पूरे विश्व में विख्यात है । भाजपा तो आज गुजराती के हाथों  में पूर्णतः फँस ही गया है। देश भी क्या व्यापारवाद के सोंच में उलझ गया है । भारत के काबीना मंत्री की औकात देखने से तो ऐसा ही दिखता है की गुजराती मंत्री की संख्या और शक्ति दोनों अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है ।

समय भारत की इतिहास लिखेगा।