Sunday, July 25, 2021

जीवन सहचरी के साथ संस्मरण

 जीवन सहचरी संग संस्मरण (अपने पर रूपांतरित)


(कोविड संक्रमण काल में सभी पति पत्नी को समर्पित)


तुम जब मेरे जीवन -बंधन में बंधी तो मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि मैं तुम्हारी पहली पसंद  था क्योंकि   पसंद बनाने की भी एक न्यूनतम उम्र होती हैं और तुम उस उम्र में प्रवेश करने के पूर्व  ही मेरे जीवन में प्रवेश कर गई थी । हां, लेकिन इतना  जरूर कहूँगा कि तुम्हारे पहले भी मेरे कई पसंद सृजित हुए थे परंतु यह पता नहीं चल सका था कि जिन जिन को पसंद किया था वो मुझे पसंद करते थे या नहीं । एकतरफा पसंद भी कोई पसंद थोड़े ही होता है । यह जब दो तरफा हो तभी तो मुकम्मल होगा न । खैर! जो भी हो आज विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि तुम मेरी पहली पसंद बन चुकी हो बल्कि ज्यादा उपयुक्त तो यह मानना होगा कि तुम ही ने अपने प्यार स्नेह सेवा से तूने अपने को मेरी पहली पसंद बना दिया अर्थात दो तरफा यानि एक मुकम्मल पसंद ।


    मुझे तुम्हारे प्यार से ज्यादा तुम्हारा तकरार पसंद  है।  तक़रार न हो तो फिर रूठे कौन और मनाये कौन। तक़रार ही तो प्यार को प्रगाढ़ बनाता है परस्पर क्षमा करने की शक्ति पैदा करता है। मेरा, तुम्हें  उकसाना, फिर तुम्हारा चिल्लाना, घर को सर पर उठाना,कभी कभी बच्चों से  कसम दिलवाने के लिए चिल्लाना, कठोर वचन बोलना, दुबारा नहीं बात करने की कसमे खाना, कभी कभार अप्रिय शब्दों  से मेरा संबोधन करना, सब एक मनोहारी छवि प्रस्तुत करता है। अंततः सारे क्रोध को  तुम्हारे आंखों से प्रवाहित होते देखते ही एक तड़प महसूस करना,  फिर तुम्हारे पास जाना, तुम्हें मनाना और तुम्हारे द्वारा, नहीं मानने का झूठा अभिनय  करना, मेरे साॅरी कहने पर अंदर अंदर ही गर्व से इठलाना, फिर  तुम बिना श्रृंगार के ही संसार की अनुपम सुंदरी दिखने लगती हो। ऐसे भी तुम्हें कृत्रिम श्रृंगार पसंद नहीं है इसीलिए मैं जब कभी कहीं बाहर गया हूँ तो कभी भी चूडियां, विंदी, सौंदर्य प्रसाधन का कोई सामान उपहार के रूप में तुम्हारे लिए नहीं लाया हूँ और तुमने कभी मुझसे ऐसी अपेक्षा भी नहीं की। तुमने अपने आचरण से मेरे मन में कब का संदेश दे दिया था  कि "मैं "ही तुम्हारे लिए भगवान का दिया हुआ अनुपम और सर्वोत्कृष्ट  उपहार हूँ ।


  मालूम है तुमको कि मुझे तुम्हारी तक़रार ही क्यों पसंद है? ताकि तुम अपना भरपूर प्यार घर के अन्य सभी सदस्यों और सगे संबंधियों पर न्योछावर कर सको। तुमने आजतक ऐसा किया भी है। कोई भी मेरा सगा संबंधी ऐसा नहीं है जो तुम्हारे प्यार और स्नेह से सिंचित न हुआ हो, थोड़ी सास पूतोह में .. घर के बाहर की मेरी छवि को चार चाँद लगाने या अन्य विशेषण का श्रेय सिर्फ तुमको ही तो जाता है इसमें मेरा कोई योगदान नहीं। जब बाहर में सगे संबंधियों से तुम्हारी तारीफ सुनता हूँ तो मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारा व्यक्तित्व हमारे व्यक्तित्व से कई गुणा अधिक ऊँचा है। सबों की पहली पसंद कोई यूँ ही  थोड़े बन जाता है। 


  तुम्हारा किचेन अद्भुत है कौन सा ऐसा व्यंजन है जिसका रसास्वादन तूने हमसबों को नहीं कराया है वह भी पल झपकते ही। आगंतुकों ने भी इसका भरपूर आनंद उठाया है ।


 आजकल कोविड के संक्रमण काल में मैं घर में हरदम साथ हूँ तुम्हारे हर आदेश निदेश  का पालन कर रहा हूँ थोड़ी बहुत आपत्ति के साथ। घर के बाहर वगैर मास्क नहीं जाने, सेनिटाईजर साथ में रखने, सावधानियां /दुरियां रखने की , भीड़ भाड़ में नहीं जाने की सख्त हिदायतें,  बारबार हाथ धोने की तुम्हारी सलाह और उसका सख्ती से पालन कराना, अफसोस पहली टीका के बाद भी तुम कोविड संक्रमित हो गई। इसका सही सही कारण ढूँढ नहीं पाया। तुम्हारे बिमारी के समय एक समय ऐसा आया कि कहीं मैं तम्हें खो न दूं । आज भी सारी घटनाएँ आंखों में तैर रही है । कुदरत ने आखिर मेरी या तुम्हारी या अपनी सुन ली जिसका परिणाम है कि तुम धीरे धीरे स्वस्थ हो रही है । मैं अपने चाहनेवालों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने विपदा के समय साथ या दुआ मांगी । 


टहलता हूँ व्यायाम भी करता हूँ, नहीं करने पर तुम्हारी डांट भी सुनता हूँ। शायद तुम्हें लगता होगा कि मैं तुम्हारी डांट से तथा कोरोना से डर गया हूँ ; नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। मुझे कोरोना से उतना डर नहीं है जितना कि तुमसे अलग होने का डर, तुम्हें अकेले छोड़ जाने का डर।


मेरा स्वस्थ रहना, तुम्हें साथ देने के लिए, सहयोग देने के लिए, एक अपरिहार्य आवश्यकता है ऐसा ही मैं सोचने लगा हूँ ।

मुझे स्वस्थ रहना है तुम्हारे लिए, तुम से तकरार करने के लिए, रार करने के लिए, तुम्हारे लिए।  तुम हमारे जीवन की निरंतरता को बनाये रखने की अनमोल प्रेरणा और अभिप्राय हो। सदा सहायक रही हो, सदा सहायक रहना, यही तुमसे मेरी अपेक्षा है । जैसे सभी संकट टल गए, यह भी टल ही जाएगा। फिर वही राग, वही दिनचर्या ,वही रफ्तार वापस आएगी ।

 

शायद मेरी पसंद तुम्हें अब समझ में आ गया होगा कि तेरे साथ से अधिक  कोई भी वस्तु मुझे प्रिय नहीं हो सकती ।


         और नापसंद की जहाँ तक बात है तो तेरी आंखों में आंसू बिल्कुल अच्छे नहीं लगते, फिर भी कभी-कभी आंसू आने भी चाहिए इससे हृदय को पिघलने में मदद मिलती है मगर इसको अधिकांश वक्त में  जब्त ही रखने की कोशिश करना  ।मुस्कान देने की गारंटी मैं लेता हूँ ।

 

एक बात मुझे आजतक समझ में नहीं आयी कि तुम्हारी पसंद क्या है? एक बार नई नई शादी के बाद एक साड़ी लाया था जिसे तुमने नापसंद कर दी थी और कभी कभार बहुत मन्नत पर तुम साड़ी पहन लिया करती थी । इसके बाद मैंने कसम खा ली कि मैं तुम्हारे लिए कोई उपहार नहीं लूँगा । पर इधर देश या विदेश में अकेले सरकारी बैठकों या प्रशिक्षण में सम्मिलित होने पर कुछ उपहार ले लेता हूँ पर अभी भी खराब लाने के उलाहना से नहीं उबरा हूँ ।

  तुम्हारे साथ कई देशों के सुन्दर सुन्दर जगहों का भ्रमण किया हूँ वहां भी तुम्हें अपने लिए जो कुछ पसंद आया था उसमें कुछ को मैंने यह कहकर टाल दिया था कि यही सामान पटना में भी मिलता है । फिर क्या लौटने के समय घर पहुँचते पहुँचते कोल्ड वार । कई देशी यात्रा मुझे इसलिए पसंद आया था कि वहां तुम्हें  हरदम बहुत खुश, आनंदित, और मुस्कुराते हुए देखा था। हां ,एक बात जरूर है कि वहां एक बात की कमी अवश्य रह गई कि यात्रा इतनी व्यस्त रही कि तकरार के लिए वक्त ही नहीं मिल पाया ( हा हा हा ) रूठने मनाने की नौबत ही नहीं आई। तुम्हारी खुशी  ने ही तो उस देशी यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया है ।


चिल्लाना भी जोर जोर से और हंसना भी गला फाड़ फाड़ कर कि पड़ोसी भी अक्सर अचंभित हो जाते खासकर ठठा कर हँसने में तुम्हारा कोई जोड़ नहीं है और नाही कोई नकल ही कर सकता है ।


   अब यह स्पष्ट हो चुका ही होगा कि 

     " मुझे सिर्फ तुम और तुम ही पसंद हो"

       "तुम्हें सिर्फ मैं और मैं ही पसंद हूँ "


            और तुम्हारी खुशी के लिए मुझे  

एक स्वस्थ जीवन जीना बहुत जरूरी है।


  (परिवार से अगर प्यार है तो अपने को भी सुरक्षित रखिए और दूसरों को भी )