Saturday, December 14, 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक

नागरिकता संशोधन विधेयक इसमें कोई दो रॉय नहीं है कि CAB पूर्णतया राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु इस्तेमाल के लिए एक ब्रहास्त्र चलाया गया है । बैसे भारतीय को दूसरे देशों से आनेवालों की अचानक चिन्ता व्यक्त करना कहीं से यथोचित जान नहीं पड़ता है । कोई देश अपनी पूरी समस्याओं से निजात कर ले तब दूसरे देश से आनेवाले की सुध सोंच सकता है । यहाँ तो मेरे देश में ही भुखमरी, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न, वर्ग उत्पीड़न, जात उत्पीड़न, किसान आत्महत्या, शिक्षा, स्वास्थ्य ...... से जुड़ी अनेकों समस्या सुरसा की तरह मुँह वाये खड़ी पड़ी है । कोई व्यक्ति खुद फटा पुराना, चिथड़ा कपड़ा पहननेवाला दूसरों को कपड़ा देगा तब समाज उसको नाटक की संज्ञा से नवाजेगा । अब कुछ लोग यह कहेगें कि दूसरा वह दूसरा नहीं खुद स्वयम है । यह सत्य है कि 1947 में पाकिस्तान का बंटवारा दो राज्यो के सिद्धांतों पर ही क्रियान्वयन हुआ है जिसका मास्टर स्ट्रोक मोहम्मद जिन्ना का था । लेकिन यह भी सच है कि जो पाकिस्तान में बचे रह गए चाहे हिन्दू हो या मुसलमान वह दो राष्ट्र के सिद्धांत को मानकर इस्लाम देश पाकिस्तान में रह गए । यह भी सच है कि जो पाकिस्तान में है उनका भी देश की आज़ादी में अहम भूमिका थी । अब जो पाकिस्तान या अफगानिस्तान या अमेरिका या चीन या ..... में है वह व्यक्ति अपने फायदे के हिसाब से उन देशों में रहना पसंद किया है । जब किसी अन्य देश मे किसी को परेशानी हो रही है और वह भागकर किसी दूसरे देश मे आना चाहता है तब उसके बारे में किसी दूसरे देश को सोंचना जबकि स्वयम समस्या से ग्रस्त हो तो सोंचने का मतलब निश्चित मौकापरस्ती या अवसरवादिता या राजनीतिक मतलब ही हो सकता है दूसरा कुछ नहीं । यहाँ दूसरे देश को किस व्यक्ति को लिया जाय इसके लिए peak and choose का मापदण्ड ही राजनीतिक ब्रहास्त्र है । देश के किसी भी व्यक्ति को डरने की आवश्यकता है ही नहीं । यह हिंदुओ के साथ साथ कुछ धर्म विशेष मुसलमान को छोड़कर तुष्टीकरण की नीति है । अब भारत के मुसलमान को सीरिया या पाकिस्तान या अमेरिकी नागरिकों में से किसे लिया जाय किसे न लिया जाय उससे क्या फर्क पड़नेवाला है । भारतीयों के लिए CAB है ही नहीं । यह तो पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, अफगानिस्तानी हिंदुओ, पारसियों, सिखों, जैनिज़्म, बुद्धिज़्म लोगो को तुष्टिकरण की नीति है जो सैद्धांतिक रुप में नहीं होना चाहिए था । पर एक समस्या है कि पाकिस्तान , बांग्लादेश, अफगानिस्तान में मुसलमान से अन्य जातियों को प्रताड़ना मिलता हो तो उसे कहाँ शरण देनी चाहिए ? वैसे आज का भारत कल का हिन्दुस्तान था जिसके सन्तान सभी थे परन्तु पाकिस्तान बांग्लादेश के कारण हिन्दुस्तान भारत बना । मुसलमान के लिए तो पाकिस्तान और बांग्लादेश बना ही है , पर भारत उन देशों के अल्पसंख्यक जो कभी भूल कर two nation theory में चला गया है और स्वेच्छा से पुनः वापसी चाहता है उसकी घर वापसी है । इसमें भारतीय मुसलमान को चिंता करने की जरुरत है ही नहीं । पर असल में है यह तुष्टीकरण । यह भी सत्य है कि पीड़ित अल्पसंख्यक जाए कहाँ क्योंकि हिन्दू, जैन, पारसी, सिख, बुद्ध का कोई देश है ही नहीं ? पर अपने पीड़ित नागरिक को छोड़कर अन्य देश के पीड़ित के बारे में सोंचना ही तुष्टीकरण है ।जो स्वयम अपनी समस्या से जूझ रहा हो वह दूसरों की समस्या को कैसे दूर कर सकता है । अपनी पत्नी को बातचीत, व्यबहार, जेवर- कपड़े ..... के लिए तरसाओ.. फटकारों और यह कहो कि आर्थिक तंगी है और दूसरे की विधवा वीवी को सैर सपाटे के लिए रुपया बाँटो ....। लोग क्या कहेगें ? निश्चित पागल । दानवीर कोई नहीं कहेगा । हाँ वेवा जरुर दानवीर कहेगी । अब सोंचिये आपके बच्चे की स्कूली शिक्षा भी प्रभावित हो सकती है । एक और बात सोंच लीजिए , जो अपना न हो सका वह दूसरों का क्या होगा । इस उदाहरण में लोग दानवीर को अय्यास कहेगें । शर्म तो देश के नागरिकों से आती है जो अपनी भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, बीमारी.... को भूल कर पड़ोस से आनेवालों को रसगुल्ला देने को राष्ट्र भक्ति या देशहित कहते हैं । यह शुद्ध रुप में राजनीतिक औज़ार है जिससे देश के लोगों को समस्या से हटाकर धर्म की चाशनी पिलाकर मदहोश किया जा सके ।