Wednesday, November 4, 2015

बीजेपी का अभिवयक्ति की स्वतंत्रता का पाखण्ड

बीजेपी का कथानायक फणीश्वरनाथ रेणु के साथ उजागर दोहरा चरित्र एवं अभिव्यक्ति का पाखंड

वैसे तो भा ज पा बात बात में देश में असहिष्णुनता की चर्चा के विरोध में यह कहती है कि देश में इमर्जेंसी के वक्त तथाकथित साहित्यकार राष्ट्रीय पुरस्कार लौटने वाले कहाँ थे । उनकी देशभक्ति मर गयी थी क्या?
इतिहास साक्षी है कि इमर्जेंसी के समय जेल जाने वाले देश के सर्वश्रेष्ठ आंचलिक कथाकार स्वर्गीय फणीश्वरनाथ रेणु जी अपने साहित्य जगत की उपलब्धि का राष्ट्रीय पद्मश्री पुरस्कार को पाप श्री पुरस्कार कहते हुए भारत सरकार को लौटाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मिशाल देश में की थी । यहाँ यह भी बता दूं क़ि रेणु जी अति पिछड़ा शोषित समाज धानुक कुर्मी जाति के थे ।
श्री रेणु जी के सुपुत्र को गत चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी थे और उनके सुपुत्र श्री पद्म पराग वेणु जी बी जे पी के प्रत्यासी के रूप में अररिया हीं पूरे सीमांचल क्षेत्र पूर्णिया कमिश्नरी में रिकार्ड मत से जीते थे ।
2015 के विधानसभा चुनाव में रिकार्ड मत से निर्वाचित रेणु जी के अतिपिछड़ा वर्ग/शोषित समाज को भाजपा ने उम्मीदवार ही नहीं बनाया ।

यह है शोषित और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बीजेपी का पाखंड ।

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