Wednesday, May 28, 2025

चार धाम

चारधाम यात्रा वृत्तांत


मैं और मेरे बहनोई सपत्नीक दोनों देहरादून अपने बड़े साढू डीआरडीओ से सेवानिवृत  के साथ १८ मई को प्रातः ८ बजे मसूरी के रास्ते कैंप्टी फ़ाल होते बाराकोट के समीप कैम्प नंदगांव के yaantra रिसोर्ट में पहुँचे (कुल दूरी - २०० कि मी)। रास्ते में पांडवों के लाखा गृह के दर्शन भी श्रद्धालु करते हैं ।प्रातः स्नान के पश्चात ४ बजे हनुमानचट्टी, जानकी चट्टी होते हुए १९ मई को ७ किलोमीटर संकरे पहाड़ों के मार्ग से होकर गर्म कुंड (सूर्य कुंड), दिव्य शिला पूजन के बाद सूर्य पुत्री यमराज और शनि देव की बहन यमुना जी के उद्गम स्थल यमुनोत्री का दर्शन के पश्चात पुनः शाम ६ बजे तक निर्वाणा रिसोर्ट पहुँचे । गर्म कुंड का प्रसाद कच्चा चावल को पोटली में डालकर भात की मान्यता है ।यमुनोत्री चढ़ाई कष्टकर है जिसका तापमान दिन में भी ४डिग्री था पर जानकी चट्टी का तापमान १८ डिग्री सेल्सियस था । चढ़ाई के लिए श्रद्धालु पिट्ठू, घोड़ा, डोली या पैदल एकमात्र उपाय है ।

२० मई को उत्तरकाशी में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन (दूरी-१२५KM) के पश्चात भागीरथी नदी के तट पर आरती स्थल के समीप साक्षी रिसोर्ट में विश्राम किया । यह स्थल नौका विहार के लिए भी प्रसिद्ध है । २१ मई प्रातः ५ बजे नित्य कर्म से निवृत होकर हरसिल के रास्ते हिमालय के खूबसूरत घाटियों से होकर गनगनी hot spring वाटर स्नान के पश्चात गंगोत्री में भागीरथ के आह्वान स्थल पर गंगोत्री में स्नान दर्शन पूजा के पश्चात शाम ७ बजे  भागीरथी नदी के तट पर साक्षी में विश्राम किया ।(दूरी-up _ down २००KM)

२२ मई २००KM भ्रमण उत्तरकाशी से प्रारंभ कर बूढ़ा केदार, रुद्र प्रयाग के रास्ते गुप्त काशी के कैम्प निर्वाणा रिसोर्ट में रात्रि विश्राम किया । यहाँ पंच केदार की मान्यता है , जिसमें बूढ़ा केदार में पशु के वेश में रहने के कारण पांडवों ने पहचान नहीं कर पाया । गुप्त काशी से सोन प्रयाग और गौरी कुंड स्नान के पश्चात १६ किलोमीटर के ट्रेक पर केदारनाथ जी मंदाकिनी नदी के उद्गम स्थल पर है ।

23 May मैंने प्रातः काली मठ में देवी दर्शन के पश्चात केदार नाथ के लिए प्रस्थान किया ।मैंने फाँटा से हेलीकॉप्टर [जो बरसात या मौसम के अनुसार स्थगित भी हो जाता है ।] से केदार पहुँच कर केदारनाथ जी, भैरव, भीम शिला, शंकराचार्य समाधि स्थल का दर्शन रात्रि में २4 मई को प्रातः २ बजे विशेष पूजा अर्चना कर (रात भर बारिश के कारण अधिक ठंढ की अनुभूति -१degree एक डोरमेटरी होटल में ठहरा था ) ४ घंटे की प्रतीक्षा के पश्चात २४ मई को हेलीकॉप्टर से फाँटा के रास्ते गुप्त काशी के रिसोर्ट लौटकर रात्रि विश्राम किया । केदारनाथ जी के स्थल का विवरण पंक्ति में लिपिबद्ध करना संभव नहीं है ।

२५ मई को गुप्तकाशी में अर्द्धनारेश्वर मन्दिर दर्शन और शारदीय केदारनाथ जी के ऊखीमठ स्थल में पूजा अर्चना के पश्चात चोपता वैली (Mini Switzerland)के अति प्राकृतिक मनोहारी दृश्य के पश्चात हिरण्यकश्यपु मंदिर के दर्शन के पश्चात जोशीमठ के रास्ते बद्रीनाथ के Amrita the Awadh में रात्रि विश्राम किया ।

२६ मई प्रातः ३ बजे स्नान कर बद्री नाथ जी के प्रातः आरती और गर्म कुंड के मार्ग से बद्रीनाथ जी का दर्शन पूजन हवन कर होटल में ६ बजे पहुँचा । बद्री नाथ अलकनंदा नदी पर अवस्थित है । भारत चीन बॉर्डर पर अंतिम गांव माना सरस्वती और अलकनंदा के संगम पर अवस्थित है । माना ग्राम में चाय का भारत में सबसे प्रथमबार उपयोग में लाया गया था । २KM ट्रेक पर गणेश मंदिर, व्यास गुफा दर्शन, भीम पुल, सरस्वती नदी का उद्गम स्थल, स्वर्ग द्वार जिससे पांडवों में हिमालय शृंखला से भैरव की पूंछ आसरे स्वर्ग प्रस्थान स्थल का भ्रमणोप्रांत Auli वैली होकर जोशीमठ - विष्णु प्रयाग के रास्ते कर्ण प्रयाग नंद प्रयाग होते हुए रुद्र प्रयाग मोनल रिसोर्ट में रात्रि ९ बजे पहुँचा ।Aulli वैली अति मनोहारी है ।( २००KM)

२७ मई को रास्ते में अलकनंदा नदी में शक्ति माता धारी देवी और देव प्रयाग भागीरथी और अलकनंदा के संगम के पश्चात गंगा नदी का दर्शनकर देवभूमि दर्शनोपरांत ऋषिकेश भ्रमणोपरांत मैं देहरादून रात ८ बजे यात्रा समाप्त किया ।(१६०KM)

*नोट:- बद्री नाथ और गंगोत्री में कोई ट्रेक नहीं है पर मौसम किसी क्षण परिवर्तन हो सकता है । दिन का तापमान मई में ९ डिग्री सेल्सियस था पैट रात्रि में तापमान २ डिग्री तक पहुँच जाता है ।

केदारनाथ और यमुनोत्री सड़क मार्ग पर अवस्थित नहीं है जिसके लिए आपको ट्रेक करना होगा तापमान कमोबेश रात में २ डिग्री - दिन में ९ डिग्री के क़रीब था ।

मौसम की भविष्यवाणी करना बहुत ही कठिन है ।

गर्म क्लॉथ inner, जैकेट, रेनकोट, छाता, knee cap, दस्ताना, ट्रेक shoes, आवश्यक दवा या पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलिंडर आवश्यकतानुसार जरूरी है ।

Thursday, January 16, 2025

हिन्दी महीना के अनुसार वर्जित खाने की बस्तु

*भारतीय जलवायु में स्वास्थ्य के प्रकृति के अचूक नियम*


○चैते गुङ ○बैशाखे तेल, ○जेठे पंथ ○असाढै बेल ।

○सावन साग ○भादो दही , ○क्वार करेला ○कातिक मही,

○अगहन जीरा ○पुष धनिया, ○माघे मिसरी ○फागुण चना ।।।

○ ईं बारह से देह बचाय तो घर वैद्य कबहूँ ना आय ।।

                                       (ग्रामीण कहावत)


      ●हिन्दी भावार्थ 


   *बारह महीनों में अलग अलग वो ऐसी चीजें जिनका हम परहेज करके निरोगी रह सकते हैं।*


 *१) चैत  - गुङ नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इस महीने का नया गुङ पथ्य नहीं होता।*


 *२) वैशाख  - तेल नहीं खायें क्योंकि वैशाख में जो पसीना निकलता हैं उन छिद्रों को तेल अवरूद्ध कर देती हैं।*


 *३) ज्येष्ठ  - पंथ यानी पथ - रास्ता पर पैदल नहीं चलना चाहिए क्योंकि इस महिने गर्मी बहुत ज्यादा होने से शरीर डिहाइड्रेशन  में आ जायेगा।*


 *४) आसाढ - बेल फल बहुत गुणकारी होकर भी आसाढ में खाने योग्य नहीं होता।*


 *५) श्रावण  - सावण में पत्ते वाले आहार न लें क्योंकि इस मास में बरसात के समय पृथ्वी गर्भीणी होकर अदृश्य असंख्य जीव पैदा करती हैं जिनके अंडज पत्तों पर भी होते हैं।*


 *६) भादो - इस महिने में दही के जो पथ्य बैक्टीरिया होते हैं वो ह्युमिडिटी के चलते जल्दी जल्दी बढ़कर खतरनाक हो जाते हैं।*


 *७) आसीन- करेला आसीन में पकाकर खाने योग्य नहीं रहता। करेला पितकारक होता हैं।*


 *८) कार्तिक  - कार्तिक में मही यानी मट्ठा ना खायें क्योंकि कार्तिक से हमें ठंडा नहीं गरम आहार शुरू कर देना चाहिए।*


 *९) अगहन - जीरा ना खायें क्योंकि जीरा प्रकृतिगत ठंडा होता हैं। जबकि अगहन में ठंड ही होती हैं।*


 *१०) पौष - पौष में धनिया ना खायें क्योंकि धनिये की प्रकृति ठंडी होती हैं। सर्दियों के इन दिनों में गर्म प्रकृतिगत व्यंजन खाना चाहिए ।गर्मियों में सिर्फ धनिये के लड्डू बनाकर खावें।*


 *११) माघ - माघ में मिश्री ना खायें । मिश्री की तासीर भी ठंडी होती हैं जो गरम ऋतू में धनिये के लड्डुओं के साथ खावें हैं।*


 *१२) फाल्गुन- फाल्गुन में चना ना खावें । एकदम नया चना गैस कारक होता हैं। फाल्गुन में वायुमंडल में भी इधर-उधर की बिना ठिकाने की हवा चलती रहती हैं। मौसम भी कभी कैसा तो कभी कैसा रहता हैं। चना वैसे भी गैस कारक होता है ।*

  

*इस प्रकार अगर आप अपथ्य का पालन करेंगे तो शरीर को जरूर सुरक्षित रख पायेंगे।*

Monday, December 23, 2024

क्या खाना सेहतमंद?

*कहते है कि अति हर चीज की बुरी होती है।*


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*कोइ भी खाना अधिक न खाए ।अपने पेट से थोड़ा कम ही खाए।*

*ज्यादा खाना खाने से acidity  और gas`की समस्या हो जाती है।*


*सुबह के समय `दूध के साथ नाश्ता  करे, दोपहर को 12:00 से 2:00  बजे  के बीच खाना खाए, फिर  रात के समय 07:00 बजे तक खाना खा लेना चाहिए।*


*(ध्यान रहे खाने मे नाश्ते मे सलाद अधिक होना चाहिए)*


*कभी कभी कुछ चीजें बहुत मनपसंद होने के कारण हम बहुत ज्यादा खा लेते हैं, अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचायें--*


1- *केले की अधिकता में दो छोटी इलायची खा लीजिये।*


2- *आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड फाक ले।*


3- *जामुन ज्यादा खा लिया तो 3-4 चुटकी नमक खा ले।*


4- *सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम खा ले।*


5- *खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत*


6- *तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग*


7- *अमरूद के लिए सौंफ*


8- *नींबू के लिए नमक*


9- *बेर के लिए सिरका*


10- *गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो 4-5 बेर खा लीजिये*


11- *चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च अजवाइन पानी से निगल लीजिये*


12- *बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च*


13- *मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये*


14- *बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं*


15- *खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये*


16- *मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं*


17- *इमली या उड़द की दाल या मूंगफली या शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये।*


18- *मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये*


19- *मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये*


20- *घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं*


21- *खुमानी ज्यादा हो जाए तो ठंडा पानी पीयें*


22- *पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिय*


*अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ एक/आधे नींबू का रस एक कप गुन गुने पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये , खाया पिया सब पच भी जाएगा और 8०% बीमारियों से भी बचे रहेंगे।*


(ज्यादे खाने से बचे)

Sunday, March 24, 2024

भारत की विकास का रोड़ा

 आज ७७ वर्ष बीत गए भारत का निर्माण हुए पर उसी समय चीन और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद असहाय जापान की तुलना में आज भी देश प्रगति का बाट जोह रहा है।

आज भारत का स्कील्ड, टेक्नोक्रेट, scientist, डॉक्टर आईटी पर्सनल और उच्च शिक्षा हेतु छात्र विदेश में पलायन को मजबूर हैं।यदि आपको भारत की स्थिति समझनी है तो कभी फुर्सत में समय निकालकर  इस प्लेटफार्म के सभी लोग जो अपने को शिक्षित या मध्यम वर्गीय कहते हैं वह सोंचे कि आप अपने बच्चे की शिक्षा सरकारी स्कूल में कराते हैं । हम में से कितने व्यक्ति निजी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है ? अब जब हमारी सरकारी स्कूल और सरकारी नौकरी प्राप्त हो गई तब क्या हमारे गाँव के लोग जो अधिकांश ग़रीब हैं वह सक्षम हैं कि वह निजी स्कूल में फ़ीस देकर शिक्षा के भारी भरकम राशि का वहन कर सके ।

हम जब व्यक्तिगत रूप में तुलनात्मक आर्थिक रुप से संपन्न हो गये तब देश प्रेम जाग गया । अगर सचमुच में देश प्रेम जाग जाता तो कितने अशिक्षित अपने ग्रामीण या घरेलू सेवक या अपने समाज के लोगों को हम शिक्षित कर पाये ।यही नहीं अलबत्ता हमलोगों ने स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार में अपने बच्चों को पिछड़ते देखकर हम में से कई ने निजीकरण की नींव के रूप में उच्च पैसे से बच्चों को शिक्षित करने के लिए निजी शिक्षण संस्थानों का ईजाद किया । इससे double फ़ायदा बिज़नस का और पैसों या सामंतबाद के पोषक के बच्चों के प्रतियोगिता में पिछड़ने पर कैपिटेशन फ़ीस और उच्च शिक्षा का नया दरवाज़ा खोलना । फिर जब अक्षम धनाढ्य के बच्चे पढ़ जायें और फिर सरकारी नौकरी में पिछड़ने लगे तो नौकरी के स्थान पर सरकारी पदों में कटौती के साथ निजीकरण कन्सल्टेंसी और सरकारी कार्यों को निजीकरण के हाथों में सौंपने का सुनियोजित व्यापार जिसका संचालन फिर वही अक्षम निजी क्षेत्रों से उच्च शिक्षा प्राप्त किए धनाढ्य के बच्चे CEO के रूप में व्यापार का मॉडल शुरू किया । इस व्यवस्था ने सभी मध्यम वर्गीय, ग़रीब किसान, मज़दूर के लिए शिक्षा और रोज़गार को सरकारी स्कूल की बदतर होती हालात ने ग़रीब से दरिद्र होने पर मजबूर करने लगा । यही नहीं किसान की घटती औसत समानुपातिक आमदनी और सरकारी सेवा में बेरोज़गारी ने लोगों को जीविकोपार्जन के लिए ही तड़फड़ाते रहना पड रहा है ।


हमलोग की देश सेवा  और देश प्रेम इतना मज़बूत है कि जब अपने बच्चों को भारत के निजी या सरकारी संस्थानों में शिक्षा या रोज़गार का योग्यता के अनुसार मासिक आमदनी नहीं मिलने पर बच्चों को GRE, TOFEL से वैदेशिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर विदेश या MNC में नौकरी के लिए प्रोत्साहित करने में लगे हैं। यह हम मध्यम वर्गीय व्यक्ति की एक प्रकार की मजबूरी भी सरकारी नौकरी या निजीकरण में योग्यता के अनुसार रोज़गार न मिलने पर बन गई है ।


अब प्रश्न है उद्योग का ? टाटा और बिरला समूह के उद्योग घराने को छोड़कर अधिकांश उद्योगपति के द्वारा देश के प्रकृति प्रदत्त पदार्थ, खनिज, समुद्र, पत्थर,  खाद्य सामग्री , कृषि उत्पादों का दोहन कर रोज़गार में लगे व्यक्ति की मजबूरी का शोषण कर उत्पाद का  मूल्य अधिक मुनाफ़ा पर व्यवसाय कर दिन दूना दूना तरक़्क़ी कर रहा है पर देश या पिछड़ेपन के लिए कोई भी सार्थक प्रयास नहीं की गई है या की जा रही है ।


*अब तो स्वास्थ्य चिकित्सा, जाँच और दवा भी कॉरपोरेट की गिरफ़्त में अपने जीवन को सौंप कर तमाशबीन बन कर मारने का इंतज़ार करने पर मजबूर होना एक मात्र मार्ग बच गया है ।*


*Public system का निजीकरण एक नये प्रकार की ग़ुलामी को जन्म देता है । निजी संस्थान या उद्योग तभी देश हित में रहेगा जब तक उसकी प्रतियोगिता सरकारी सक्षम संस्थान या अन्य निजी संस्थान की भी मौजूदगी होगी ।*

Monday, November 27, 2023

कार्तिक पूर्णिमा२०२३ का गंगा दर्शन और आस्था

 *कार्तिक पूर्णिमा २०२३ का गंगा स्नान का यथार्थ*


*आज संयोग से मैंने कार्तिक पूर्णिमा के दिन पटना से बख़्तियारपुर सुबह ६ बजे गंगा दर्शन के लिए सपत्नीक , बहन संग अतीत मंजर हेतु स्नान आदि से निवृत्त होकर ७ बजे गंगा घाट पहुँचने के बाद घाट भ्रमण एवम दर्शन कर पुनः छठ का ठेकुआ चाय लिट्टी खाने के बाद पटना लौटकर गाय घाट से दीघा घाट तक कई घाटों के गंगा दर्शन के पश्चात दोपहर बाद अटल पथ से पटना निवास पहुँचा ।*


*बचपन के गंगा दर्शन से यह दर्शन मुझे कौतुहल किया ।*


*१९७० के समय में गंगा स्नान में किसानों की ही बाहुल्यता होती थी । घाट पर खिलौने, बांसुरी, औरतों के शृंगार प्रसाधन की वस्तु, लट्ठो, तिलकतरी, दही, गुड, सत्तू, चुरा बिकता था । ढोल, मंदार के साथ औघाड़ का तांडव भय पैदा करता था । गंगा में कल कल ध्वनि के साथ जल प्रवाहित होता था । मंदिर में आने जाने का ताँता लगा रहता था । मुंडन कार्यक्रम के साथ ओझा, भगत का खेल अचंभित करता था ।वैसे मैं स्पष्ट कर दूँ कि बचपन के तीन वर्ष माता पिता और तीन बहनों के साथ मैंने अपने बख़्तियारपुर अवस्थित घर में समय बिताया था ।*


*इस वर्ष के गंगा दर्शन में सिर्फ़ कामगार मज़दूर वह भी पहले की तुलना में बहुत ही कम देखने को मिला । घाट पर दही, गुड, चूड़ा बिकते नहीं देखा और शृंगार प्रसाधन और साँख, लट्ठों, तिलकतरी के इक्का दुक्का ठेले को देखा वहाँ भी बिक्री न के बराबर । गंगा का पानी गंदा रंग के साथ ठहराव लिए था जो चीख चीख़ कर प्रकृति के विलुप्त होने की व्यथा बतला रहा था । सबसे विचित्र बात अल्प भीड़, इक्का दुक्का मुंडन मंजर के साथ कोई ओझा भगत का डांस तांडव का मंजर नहीं था । इस अंधविश्वास का स्वतः विलुप्त होना ग़रीबों में जागरुकता का अहसास करा रहा था जबकि सम्भ्रांत की ऊँगली में रत्न जड़ित अंगूठी भारत के विषैले नाग की सज्जा को सुशोभित कर रहा है ।मंदिर में आंशिक भीड़ कार्तिक पूर्णिमा या गंगा स्नान में ख़त्म होती आस्था का पहचान है या प्रदूषित गंगा का होना । अगर गंगा का प्रदूषण कारण होता तब छठ पर्व में गंगा घाट में भीड़ क्यों बढ़ते जाती! हिंदू के सोशल मिडिया पर ध्वजवाहक का गंगा स्नान में सर्वथा अभाव था । था तो सिर्फ़ गंदे पुराने कपड़े पहने मोटरी गठ्ठर के साथ आये आंशिक BPL सूची वाले लोग ।*


*आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान में मेरे जैसे और हिन्दू धर्म के क्षदम सोशल मीडिया के संभ्रांत सिर्फ़ राजनीतिक लवादा ओढ़े अपनी पत्नी पुत्र के साथ गाढ़ी निद्रा में लोगों को जाति धर्म के नाम पर आपस में लड़ाने में लगे थे और वास्तविकता से कोसों दूर रहकर सही सनातन वाहक के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार से वंचित रखकर पीज़ा, बर्गर, केक, पेस्ट्री, मटन, चिकन, मछली, प्रोन, क्रैब की तैयारी में ऑनलाइन ऑर्डर के लिए मोबाईल से नूरा कुश्ती कर रहे थे ।*

Saturday, September 23, 2023

मनवता, मर्यादा और चरित्र (सनातन= सदा अनन्त)

 *मानवता, मर्यादा और चरित्र ( सनातन = सदा अनन्त)*

*बहुत हर्ष हुआ । हम विकसित भारत बनायेगें । आजादी के पूर्व के सेनानी की संख्या नभ जल अग्नि धरा में अधिकांश विलीन हो गई । कुछ बचे हैं जो विलीन होने की वाट जोह रहे हैं । स्मृतियाँ धुँधली है थोड़ी बहुत बची है उसे अल्ज़ाइमर्स नामक रोग ने शिथिल कर दिया है ।*

* …पर इतिहास है । इतिहास के भी कई रंग है … जो मौसम की तरह रंग बदलता है । क्या सनातन, सदा अंत न होने का यही बदलाव है जो एक दूसरे को कटुता के भाव से किया जाने लगा है ? क्या मर्यादा, नैतिकता, शालीनता में अमर्यादा, अनैतिकता, नफ़रत की चादर ओढ़ ली है । इसे ही सनातनी बदलाव कहते हैं ।*

*माफ़ करना मित्रों मुझे तो ऐसा दिखता या लगता है कि मैं अब हम नहीं हो सकता है । यह अंतर हम का मैं में बदलाव के कारण हुआ है ।*

*लगा था नया इंडिया न बाबा न …. भारत का नया संसद कई मायनों में अच्छा क्या उत्तम न …न श्रेष्ठ होगा । मानो हम लोकतंत्र संविधान से ऊपर हो गये हैं ! *

*बदलते भारत के नए नूतन विराट भवन में अशोक स्तंभ के स्थान पर सेंगोल ने जगह बना डाली ।मैंने सेंगोल को पहली बार नाम सुना था । हो सकता है, मेरा इतिहास का सामान्य ज्ञान बहुत कम हो , पर मुझे आशा है कि आप यह जरुर जान रहे होंगें कि सेंगोल प्रतीक का साम्राज्य अशोक स्तम्भ प्रतीक से कई गुणा अधिक होगा । वैसे तो अशोक स्तम्भ दक्षिण भारत के थोड़े बहुत क्षेत्र को छोड़कर वर्मा, भूटान, नेपाल से हिन्दूकुश पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था । आधुनिक भारत के नाम से पहला बदलाव सेंगोल के साम्राज्य की संरचना ने कर डाली *।

*नये भारत के नये संसद में भले प्रथम कार्यदिवस स्थानांतरण के समय प्रथम आदिवासी वंचित विधवा महिला राष्ट्रपति का प्रवेश नहीं हुआ पर यह कार्य एक विशेष सत्र के आमंत्रण से आनन फ़ानन में हिन्दी के भादो माह में विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के लोकतंत्र के प्रतीक प्रधानमंत्री के अभिभाषण  (आख्यान) से प्रारंभ हुआ ।*

*भाषण आपसी सद्भाव , भाईचारा, संसदीय मर्यादा, आचरण, नैतिकता बनाए रखने के बदलाव ने मन मश्तिष्क पर ऐसा प्रभाव डाला कि भारत सचमुच में बदल गया । संसदीय इतिहास में आधी आबादी उपेक्षित जनसंख्या के विल से भी सम्बन्धित था जो अचम्भित कर रहा था कि भले किसी कारणवश प्रधानमंत्री अपनी धर्मपत्नी का कई चुनावी हलफ़नामों में नाम न अंकित किया हो पर नारी शक्ति की कीड़ा उन्हें उद्विग्न कर रहा है ।*

*पर मुझे पुरुषों की मानसिकता पर संदेह रहता है कि क्या हम पुरुष नारी सशक्तिकरण में विश्वास रखते हैं भी क्या ? या ख़ाली दिखावटीपन ! संदेह मेरा उसी समय जड़वत हो गया; जब प्रथम महिला आदिवासी राष्ट्रपति का विशेष सत्र हेतु नये भवन में आगमन नहीं हुआ । मुझे सनातन में हो रहे बदलाव ने अचंभित कर रखा था पर यह भी जानता था कि सनातन में नारी शक्ति की ईश्वर के रुप में सर्वप्रथम आराधना पूजा होती है पर भौतिक रुप में अब तक उसे मौलिक रूप में अधिकार से वंचित किए जाने के सारे नियम विद्यमान हैं । मैं सोंच में था कि मुझमें भी वास्तविक रुप में कई बदलाव करने पड़ेंगें ।*

*ऐसा महसूस हो रहा था कि अब मुझे सही सनातन का ज्ञान हुआ है । बदलाव ! ….भादो माह में विशेष सत्र ! …..विशेष सत्र की कार्यमंत्रना में  गोपनीयता ! …..हिंदू प्रथम महिला आदिवासी राष्ट्रपति का नये सत्र के नये भारत के नये संसद भवन में प्रथम दिवस पर आगमन का न होना ! …. प्रधानमंत्री जिसकी पत्नी होते हुए महिला के रुप में भी निर्वासित रहने पर महिला सशक्तिकरण आरक्षण विल पर चर्चा !*

*अंत में विल दोनों सदनों में लगभग सर्वसम्मति से पारित हो गया परन्तु लागु कब होगा …. धरातल पर कब उतरेगा उसमें दो कील है । प्रथम परिसीमन और दूसरा सेन्सस अर्थात वर्तमान “क्या १० वर्षों में भी राधा को न तो नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी” । जय हो सनातनी बदलाव !*

*अरे भाई ! यह क्या हो गया सनातनी प्रवर्तक के नेता बदलाव में इतिहास बनाये जाने के उद्देश्य से आज तक संसदीय इतिहास में जो नहीं हुआ बिदुरी जी ने संसद में ही ऐसा ही सदाचार, ज्ञान, आचरण, नैतिकता, मर्यादा रुपी ओज से ओतप्रोत आख्यान दिया कि हर्षवर्धन और रविशंकर सरीखे भूतपूर्व मंत्रियों ने मंद मंद मुस्कान से अपनी सहमति भी दे दी । जिस पर सदन के अध्यक्ष भी गौर से सुने।*

*सनातन बदलाव का प्रतीक …. यह है नयी मर्यादा! नई संस्कृति! नया सेंगोल! नया संसद! नया बिल!*

Friday, May 19, 2023

मगही में बोले जाने वाले शब्दों की प्रस्तुति

 बिहारी मगही में विलुप्त होते शब्दों के प्रस्तुति का एक तुच्छ प्रायस


कोठरी के ओसारा के ताखा पर ढिबरी बरते देखलूह । दालान, चूल्हानी, दूध आऊँटी घर कहाँ होब हई और राम राम के बेरा में किरिंग फ़ुटे से पहले डोल डाल के बाद दतमन से मुँह धोके या बसिये मुँह दोसर दुहारी के ओसरा में तातल तातल चाह पीलू ह ।मुँह जूठा कईले बिन  ब्रह्म बाबा के गोड़ लगलहू ह । ढेलवा गोसाईं पर स्कुल जाय के बेर में एक ढेला रोज़ रखहल्हू ! डीह केकरा कहल जा हई । साँझ मयीया या उत्तर तरफ हाथ उठा के किरिया खयीलुह । पीलुआही, बीहुनाठी, मँगजरऊनी, भुईयाँ, भुसुल्ला, बढ़नी, पीरदायीं, तसला, बटलोही, बरगुना केकरा के कहल जा हई । लबर लबर बोले के लूर हो का । हुमच के खटिया पर चेथरी तीतल अंगा पहन के बैठल पर डांटलगेल हल कि बच गेलहू हल ।ओरचनी तरफ़ मुड़ी राहतयी की पैर? केकरो हऊँकल्हू ह कि तू ही हऊँकागेलहु ह । भोथर   आमदी और भोथर औज़ार देखल्हू ह की न देखलह । केकरो गर्दा उड़ाते या अपने केकरो हऊंके है और फिर कूटइलह ; ईं भुने भुने न बताहू, किरीया खाए पड़तो । तू बहुत भीतरघुनिया हू जी एकरे चलते तो नीमन तरी से थूरा जाह । बनातरीके आजहनोग ला हमरा बढ़िया तरी से तू नहिये समझलूह । तरकारी खाये से मुँह परपरयीलो ह ? घूँट घूँट पीह न कि गटर गटर । अरे मरदे छाँक लगा के मत पी हो ! एतना गरम हऊ कि तेतरा या सेंका जयितऊ । भकूआ के काहे घूरहें अलबलाल नीयर ? हदसल लगहो ।सवलबा पूछे पर अलवलाहीं हो तब तो परीक्षवा में ख़ाली टीप होतहू । कने बरीअरी ठोकलहू ह । आज अघा के ख़ायीलूँह । बसियाल औराल भात कहीं तरकारी साथे कोई खा हई । अरे गींज मथ मत ।भोथर पिरदायीं जेकरा से रामतोरयी न कटहयी ओकरा से कपड़ा में चीरा या सुतरी कटतई । इम साल एकदम सुतार हई न तो परसाल नियर रहत हल त दमे निकल जयितहोत ।बरियारी मत करहीं । एकदम अघालहू । बकलोल के फेर में मत रह न तो ठेहुना घीस जयीतो, फिन फूटे में देरो न लगतो । केहुनिओ मत न त खीस बरतउ तब केकरो पछाड़ देबऊ । लफ़ूअन सब के घूरे के बेमारी रह हई, एकरे में दू तबडाक़ लग जयितयी न त एकदम निशे फट जईतयी । सीक चकरी,घिरनी, डोल पत्ता, चीक्का…. से पैर में विवायी फटलो ह ? मिज़ाज गरम होलो न त हम केकरो न छोड़वो । हट मरदे! बिना मूँछ के मरदनवा ज़्यादा मटकी मारहो जी । छिनरा नियर लगहो ! सेखारी, अमनीया जानहू कि उलट पुलट करदेभू त मायीया छोलनी से दाग देथून । लंठई करबहू न तब फँसबहू न त घरे लोटा लोटा के थूरईब । अहरी, गहड़ी में मछली मारव न कि बँशी लेके या कादो में से मछरी मारते देखे में बड़ी नीमन लगहयी आऊ मजो अयीतो । होरहा, अलंग, डीह, राहर रेंडी के ख़ेत के बाते कुछ और रहहयी । बग़ीचवा में टिकोलवा चोरावे के और लटायीन से तिलंगी या गुड्डी बू कट्टा करे में बड़ी मजा आयीतो । माटरसाहब भुने भुने छऊँडी से बुरी बुरी बात करे पर सिट्टी तोड़ देलथीन और फिर छऊँड़ा के रेगनी के काँटा पर सुता के हाऊँक देलथीन ।


*नालिन कुमार सिन्हा*