चारधाम यात्रा वृत्तांत
मैं और मेरे बहनोई सपत्नीक दोनों देहरादून अपने बड़े साढू डीआरडीओ से सेवानिवृत के साथ १८ मई को प्रातः ८ बजे मसूरी के रास्ते कैंप्टी फ़ाल होते बाराकोट के समीप कैम्प नंदगांव के yaantra रिसोर्ट में पहुँचे (कुल दूरी - २०० कि मी)। रास्ते में पांडवों के लाखा गृह के दर्शन भी श्रद्धालु करते हैं ।प्रातः स्नान के पश्चात ४ बजे हनुमानचट्टी, जानकी चट्टी होते हुए १९ मई को ७ किलोमीटर संकरे पहाड़ों के मार्ग से होकर गर्म कुंड (सूर्य कुंड), दिव्य शिला पूजन के बाद सूर्य पुत्री यमराज और शनि देव की बहन यमुना जी के उद्गम स्थल यमुनोत्री का दर्शन के पश्चात पुनः शाम ६ बजे तक निर्वाणा रिसोर्ट पहुँचे । गर्म कुंड का प्रसाद कच्चा चावल को पोटली में डालकर भात की मान्यता है ।यमुनोत्री चढ़ाई कष्टकर है जिसका तापमान दिन में भी ४डिग्री था पर जानकी चट्टी का तापमान १८ डिग्री सेल्सियस था । चढ़ाई के लिए श्रद्धालु पिट्ठू, घोड़ा, डोली या पैदल एकमात्र उपाय है ।
२० मई को उत्तरकाशी में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन (दूरी-१२५KM) के पश्चात भागीरथी नदी के तट पर आरती स्थल के समीप साक्षी रिसोर्ट में विश्राम किया । यह स्थल नौका विहार के लिए भी प्रसिद्ध है । २१ मई प्रातः ५ बजे नित्य कर्म से निवृत होकर हरसिल के रास्ते हिमालय के खूबसूरत घाटियों से होकर गनगनी hot spring वाटर स्नान के पश्चात गंगोत्री में भागीरथ के आह्वान स्थल पर गंगोत्री में स्नान दर्शन पूजा के पश्चात शाम ७ बजे भागीरथी नदी के तट पर साक्षी में विश्राम किया ।(दूरी-up _ down २००KM)
२२ मई २००KM भ्रमण उत्तरकाशी से प्रारंभ कर बूढ़ा केदार, रुद्र प्रयाग के रास्ते गुप्त काशी के कैम्प निर्वाणा रिसोर्ट में रात्रि विश्राम किया । यहाँ पंच केदार की मान्यता है , जिसमें बूढ़ा केदार में पशु के वेश में रहने के कारण पांडवों ने पहचान नहीं कर पाया । गुप्त काशी से सोन प्रयाग और गौरी कुंड स्नान के पश्चात १६ किलोमीटर के ट्रेक पर केदारनाथ जी मंदाकिनी नदी के उद्गम स्थल पर है ।
23 May मैंने प्रातः काली मठ में देवी दर्शन के पश्चात केदार नाथ के लिए प्रस्थान किया ।मैंने फाँटा से हेलीकॉप्टर [जो बरसात या मौसम के अनुसार स्थगित भी हो जाता है ।] से केदार पहुँच कर केदारनाथ जी, भैरव, भीम शिला, शंकराचार्य समाधि स्थल का दर्शन रात्रि में २4 मई को प्रातः २ बजे विशेष पूजा अर्चना कर (रात भर बारिश के कारण अधिक ठंढ की अनुभूति -१degree एक डोरमेटरी होटल में ठहरा था ) ४ घंटे की प्रतीक्षा के पश्चात २४ मई को हेलीकॉप्टर से फाँटा के रास्ते गुप्त काशी के रिसोर्ट लौटकर रात्रि विश्राम किया । केदारनाथ जी के स्थल का विवरण पंक्ति में लिपिबद्ध करना संभव नहीं है ।
२५ मई को गुप्तकाशी में अर्द्धनारेश्वर मन्दिर दर्शन और शारदीय केदारनाथ जी के ऊखीमठ स्थल में पूजा अर्चना के पश्चात चोपता वैली (Mini Switzerland)के अति प्राकृतिक मनोहारी दृश्य के पश्चात हिरण्यकश्यपु मंदिर के दर्शन के पश्चात जोशीमठ के रास्ते बद्रीनाथ के Amrita the Awadh में रात्रि विश्राम किया ।
२६ मई प्रातः ३ बजे स्नान कर बद्री नाथ जी के प्रातः आरती और गर्म कुंड के मार्ग से बद्रीनाथ जी का दर्शन पूजन हवन कर होटल में ६ बजे पहुँचा । बद्री नाथ अलकनंदा नदी पर अवस्थित है । भारत चीन बॉर्डर पर अंतिम गांव माना सरस्वती और अलकनंदा के संगम पर अवस्थित है । माना ग्राम में चाय का भारत में सबसे प्रथमबार उपयोग में लाया गया था । २KM ट्रेक पर गणेश मंदिर, व्यास गुफा दर्शन, भीम पुल, सरस्वती नदी का उद्गम स्थल, स्वर्ग द्वार जिससे पांडवों में हिमालय शृंखला से भैरव की पूंछ आसरे स्वर्ग प्रस्थान स्थल का भ्रमणोप्रांत Auli वैली होकर जोशीमठ - विष्णु प्रयाग के रास्ते कर्ण प्रयाग नंद प्रयाग होते हुए रुद्र प्रयाग मोनल रिसोर्ट में रात्रि ९ बजे पहुँचा ।Aulli वैली अति मनोहारी है ।( २००KM)
२७ मई को रास्ते में अलकनंदा नदी में शक्ति माता धारी देवी और देव प्रयाग भागीरथी और अलकनंदा के संगम के पश्चात गंगा नदी का दर्शनकर देवभूमि दर्शनोपरांत ऋषिकेश भ्रमणोपरांत मैं देहरादून रात ८ बजे यात्रा समाप्त किया ।(१६०KM)
*नोट:- बद्री नाथ और गंगोत्री में कोई ट्रेक नहीं है पर मौसम किसी क्षण परिवर्तन हो सकता है । दिन का तापमान मई में ९ डिग्री सेल्सियस था पैट रात्रि में तापमान २ डिग्री तक पहुँच जाता है ।
केदारनाथ और यमुनोत्री सड़क मार्ग पर अवस्थित नहीं है जिसके लिए आपको ट्रेक करना होगा तापमान कमोबेश रात में २ डिग्री - दिन में ९ डिग्री के क़रीब था ।
मौसम की भविष्यवाणी करना बहुत ही कठिन है ।
गर्म क्लॉथ inner, जैकेट, रेनकोट, छाता, knee cap, दस्ताना, ट्रेक shoes, आवश्यक दवा या पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलिंडर आवश्यकतानुसार जरूरी है ।
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