Wednesday, May 28, 2025

चार धाम

चारधाम यात्रा वृत्तांत


मैं और मेरे बहनोई सपत्नीक दोनों देहरादून अपने बड़े साढू डीआरडीओ से सेवानिवृत  के साथ १८ मई को प्रातः ८ बजे मसूरी के रास्ते कैंप्टी फ़ाल होते बाराकोट के समीप कैम्प नंदगांव के yaantra रिसोर्ट में पहुँचे (कुल दूरी - २०० कि मी)। रास्ते में पांडवों के लाखा गृह के दर्शन भी श्रद्धालु करते हैं ।प्रातः स्नान के पश्चात ४ बजे हनुमानचट्टी, जानकी चट्टी होते हुए १९ मई को ७ किलोमीटर संकरे पहाड़ों के मार्ग से होकर गर्म कुंड (सूर्य कुंड), दिव्य शिला पूजन के बाद सूर्य पुत्री यमराज और शनि देव की बहन यमुना जी के उद्गम स्थल यमुनोत्री का दर्शन के पश्चात पुनः शाम ६ बजे तक निर्वाणा रिसोर्ट पहुँचे । गर्म कुंड का प्रसाद कच्चा चावल को पोटली में डालकर भात की मान्यता है ।यमुनोत्री चढ़ाई कष्टकर है जिसका तापमान दिन में भी ४डिग्री था पर जानकी चट्टी का तापमान १८ डिग्री सेल्सियस था । चढ़ाई के लिए श्रद्धालु पिट्ठू, घोड़ा, डोली या पैदल एकमात्र उपाय है ।

२० मई को उत्तरकाशी में प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन (दूरी-१२५KM) के पश्चात भागीरथी नदी के तट पर आरती स्थल के समीप साक्षी रिसोर्ट में विश्राम किया । यह स्थल नौका विहार के लिए भी प्रसिद्ध है । २१ मई प्रातः ५ बजे नित्य कर्म से निवृत होकर हरसिल के रास्ते हिमालय के खूबसूरत घाटियों से होकर गनगनी hot spring वाटर स्नान के पश्चात गंगोत्री में भागीरथ के आह्वान स्थल पर गंगोत्री में स्नान दर्शन पूजा के पश्चात शाम ७ बजे  भागीरथी नदी के तट पर साक्षी में विश्राम किया ।(दूरी-up _ down २००KM)

२२ मई २००KM भ्रमण उत्तरकाशी से प्रारंभ कर बूढ़ा केदार, रुद्र प्रयाग के रास्ते गुप्त काशी के कैम्प निर्वाणा रिसोर्ट में रात्रि विश्राम किया । यहाँ पंच केदार की मान्यता है , जिसमें बूढ़ा केदार में पशु के वेश में रहने के कारण पांडवों ने पहचान नहीं कर पाया । गुप्त काशी से सोन प्रयाग और गौरी कुंड स्नान के पश्चात १६ किलोमीटर के ट्रेक पर केदारनाथ जी मंदाकिनी नदी के उद्गम स्थल पर है ।

23 May मैंने प्रातः काली मठ में देवी दर्शन के पश्चात केदार नाथ के लिए प्रस्थान किया ।मैंने फाँटा से हेलीकॉप्टर [जो बरसात या मौसम के अनुसार स्थगित भी हो जाता है ।] से केदार पहुँच कर केदारनाथ जी, भैरव, भीम शिला, शंकराचार्य समाधि स्थल का दर्शन रात्रि में २4 मई को प्रातः २ बजे विशेष पूजा अर्चना कर (रात भर बारिश के कारण अधिक ठंढ की अनुभूति -१degree एक डोरमेटरी होटल में ठहरा था ) ४ घंटे की प्रतीक्षा के पश्चात २४ मई को हेलीकॉप्टर से फाँटा के रास्ते गुप्त काशी के रिसोर्ट लौटकर रात्रि विश्राम किया । केदारनाथ जी के स्थल का विवरण पंक्ति में लिपिबद्ध करना संभव नहीं है ।

२५ मई को गुप्तकाशी में अर्द्धनारेश्वर मन्दिर दर्शन और शारदीय केदारनाथ जी के ऊखीमठ स्थल में पूजा अर्चना के पश्चात चोपता वैली (Mini Switzerland)के अति प्राकृतिक मनोहारी दृश्य के पश्चात हिरण्यकश्यपु मंदिर के दर्शन के पश्चात जोशीमठ के रास्ते बद्रीनाथ के Amrita the Awadh में रात्रि विश्राम किया ।

२६ मई प्रातः ३ बजे स्नान कर बद्री नाथ जी के प्रातः आरती और गर्म कुंड के मार्ग से बद्रीनाथ जी का दर्शन पूजन हवन कर होटल में ६ बजे पहुँचा । बद्री नाथ अलकनंदा नदी पर अवस्थित है । भारत चीन बॉर्डर पर अंतिम गांव माना सरस्वती और अलकनंदा के संगम पर अवस्थित है । माना ग्राम में चाय का भारत में सबसे प्रथमबार उपयोग में लाया गया था । २KM ट्रेक पर गणेश मंदिर, व्यास गुफा दर्शन, भीम पुल, सरस्वती नदी का उद्गम स्थल, स्वर्ग द्वार जिससे पांडवों में हिमालय शृंखला से भैरव की पूंछ आसरे स्वर्ग प्रस्थान स्थल का भ्रमणोप्रांत Auli वैली होकर जोशीमठ - विष्णु प्रयाग के रास्ते कर्ण प्रयाग नंद प्रयाग होते हुए रुद्र प्रयाग मोनल रिसोर्ट में रात्रि ९ बजे पहुँचा ।Aulli वैली अति मनोहारी है ।( २००KM)

२७ मई को रास्ते में अलकनंदा नदी में शक्ति माता धारी देवी और देव प्रयाग भागीरथी और अलकनंदा के संगम के पश्चात गंगा नदी का दर्शनकर देवभूमि दर्शनोपरांत ऋषिकेश भ्रमणोपरांत मैं देहरादून रात ८ बजे यात्रा समाप्त किया ।(१६०KM)

*नोट:- बद्री नाथ और गंगोत्री में कोई ट्रेक नहीं है पर मौसम किसी क्षण परिवर्तन हो सकता है । दिन का तापमान मई में ९ डिग्री सेल्सियस था पैट रात्रि में तापमान २ डिग्री तक पहुँच जाता है ।

केदारनाथ और यमुनोत्री सड़क मार्ग पर अवस्थित नहीं है जिसके लिए आपको ट्रेक करना होगा तापमान कमोबेश रात में २ डिग्री - दिन में ९ डिग्री के क़रीब था ।

मौसम की भविष्यवाणी करना बहुत ही कठिन है ।

गर्म क्लॉथ inner, जैकेट, रेनकोट, छाता, knee cap, दस्ताना, ट्रेक shoes, आवश्यक दवा या पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलिंडर आवश्यकतानुसार जरूरी है ।

Thursday, January 16, 2025

हिन्दी महीना के अनुसार वर्जित खाने की बस्तु

*भारतीय जलवायु में स्वास्थ्य के प्रकृति के अचूक नियम*


○चैते गुङ ○बैशाखे तेल, ○जेठे पंथ ○असाढै बेल ।

○सावन साग ○भादो दही , ○क्वार करेला ○कातिक मही,

○अगहन जीरा ○पुष धनिया, ○माघे मिसरी ○फागुण चना ।।।

○ ईं बारह से देह बचाय तो घर वैद्य कबहूँ ना आय ।।

                                       (ग्रामीण कहावत)


      ●हिन्दी भावार्थ 


   *बारह महीनों में अलग अलग वो ऐसी चीजें जिनका हम परहेज करके निरोगी रह सकते हैं।*


 *१) चैत  - गुङ नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इस महीने का नया गुङ पथ्य नहीं होता।*


 *२) वैशाख  - तेल नहीं खायें क्योंकि वैशाख में जो पसीना निकलता हैं उन छिद्रों को तेल अवरूद्ध कर देती हैं।*


 *३) ज्येष्ठ  - पंथ यानी पथ - रास्ता पर पैदल नहीं चलना चाहिए क्योंकि इस महिने गर्मी बहुत ज्यादा होने से शरीर डिहाइड्रेशन  में आ जायेगा।*


 *४) आसाढ - बेल फल बहुत गुणकारी होकर भी आसाढ में खाने योग्य नहीं होता।*


 *५) श्रावण  - सावण में पत्ते वाले आहार न लें क्योंकि इस मास में बरसात के समय पृथ्वी गर्भीणी होकर अदृश्य असंख्य जीव पैदा करती हैं जिनके अंडज पत्तों पर भी होते हैं।*


 *६) भादो - इस महिने में दही के जो पथ्य बैक्टीरिया होते हैं वो ह्युमिडिटी के चलते जल्दी जल्दी बढ़कर खतरनाक हो जाते हैं।*


 *७) आसीन- करेला आसीन में पकाकर खाने योग्य नहीं रहता। करेला पितकारक होता हैं।*


 *८) कार्तिक  - कार्तिक में मही यानी मट्ठा ना खायें क्योंकि कार्तिक से हमें ठंडा नहीं गरम आहार शुरू कर देना चाहिए।*


 *९) अगहन - जीरा ना खायें क्योंकि जीरा प्रकृतिगत ठंडा होता हैं। जबकि अगहन में ठंड ही होती हैं।*


 *१०) पौष - पौष में धनिया ना खायें क्योंकि धनिये की प्रकृति ठंडी होती हैं। सर्दियों के इन दिनों में गर्म प्रकृतिगत व्यंजन खाना चाहिए ।गर्मियों में सिर्फ धनिये के लड्डू बनाकर खावें।*


 *११) माघ - माघ में मिश्री ना खायें । मिश्री की तासीर भी ठंडी होती हैं जो गरम ऋतू में धनिये के लड्डुओं के साथ खावें हैं।*


 *१२) फाल्गुन- फाल्गुन में चना ना खावें । एकदम नया चना गैस कारक होता हैं। फाल्गुन में वायुमंडल में भी इधर-उधर की बिना ठिकाने की हवा चलती रहती हैं। मौसम भी कभी कैसा तो कभी कैसा रहता हैं। चना वैसे भी गैस कारक होता है ।*

  

*इस प्रकार अगर आप अपथ्य का पालन करेंगे तो शरीर को जरूर सुरक्षित रख पायेंगे।*