Tuesday, October 11, 2016

विजयादशमी मर्यादा पुरुषोत्तम की रामलीला पर राजनीति

मैं  IIM अहमदाबाद से प्रबन्धन की प्रशिक्षण में यह तय कर लिया था कि राजनीति की कटु विवेचना नहीं करूँगा, परन्तु आज विजयादशमी के शुभ अवसर पर जो राजनीति हो रही है वह हम भरत वंशी को पुनः समसामयिक विवेचना करने को मजबूर कर दिया है या यूँ कह सकते हैं कि मैं अपनी मनः स्थिति को बदल नहीं सका अर्थार्त कुत्ता का दुम । यही मुहावरा अन्य राजनीतिज्ञ  के सन्दर्भ में भी 100 % चरितार्थ होता है ।

विजयादशमी के तथाकथित उत्तराधिकारी और भारत के सम्राट द्वारा राजनीति की कुत्सित चौसर

1)  क्या रावण की लँका की राजधनी लखनऊ में थी ?
2)  क्या रावण का आधिपत्य लखनऊ तक थी ?
3)  क्या आधुनिक भरतवंशी के रावण उत्तरप्रदेश के लखनऊ में विराजमान हैं ?
4) क्या भारत की राजधानी रावण मुक्त हो गयी?
5)  क्या नई दिल्ली में रामराज्य स्थापित हो गयी ?
6) क्या भारत जैसे विविधता वाले देश में राजनीति को ध्यान में रखकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम के विजयी दिवस को घृणित करना चाहिए जिसमें आने वाले चुनाव तक दशहरा पर्व के बारे में भी सम्मान न बरती जाय ?
7) क्या अपने आप को रामभक्त की विरासत से जोड़नेवाली दल के इस कुत्सित राजनीति से मर्यादा पुरुषोत्तम राम की विरासत को अंध कुँए में धक्का देना नहीं कही जाएगी ?
8) क्या रावण वध या रामलीला के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री को दिल्ली के वजाय लखनऊ शिरकत करना देशभक्ति या मानवता का पाठ या साहिष्णुन्ता ....या राजधर्म या आर्थिक रूप से नयी नीति की नयी गाथा माना जायेगा ?
9) क्या प्रधानमंत्री की इस यात्रा से उत्तरप्रदेश की जनता को राम के वंशज वाले राज्य में अपमानित करना उनकी अस्मिता से खिलवाड़ नहीं है ?
10) प्रधानमंत्री या उनके रणनीतिकार को आने वाले चुनाव के मद्देनजर किस नयी राजनीति की परिभाषा की ऊपज करेगें यह तो आज हीं परिलक्षित हो रहा है जो सर्वथा बिहार चुनाव जैसे परिणाम की बुनियाद न डाल दे?

2 comments:

  1. ईसमें क्या समस्या है. लखनऊ भी भारत है. और राम जी भी भारत है.

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