Sunday, June 12, 2016

कटिहार एक संस्मरण


कटिहार की 5 जून 2013 से अब तक की यादें 

कटिहार बिहार के सीमांचल भूभाग में  प्राकृतिक की गोद में चारों तरफ से गंगा, कोशी, महानंदा एवं हिमालय से निसृत अनेक छोटी छोटी धारों से घिरा अनेक धाराओं से घिरा एवं प्राकृतिक वृक्षों से आच्छादित मनोरम उर्वरा धरती अनेकता में एकता का बहु सांप्रदायिक , बहु भाषी खूबसूरत जिला है ।

मेरी पदस्थापन के पूर्व मैं दूरी के हिसाब से पटना से अधिक रहने के कारण थोडा विचलित था परन्तु रेल मार्ग पर अवस्थित होने के कारण थोड़ी दिलचस्पी बढ़ गयी ।

यहाँ बंगाली, बंगला मुसलमान, बिहारी मुसलमान एवं बिहारी की जनसँख्या है । इस जिले के मूल निवासी आदिवासी की जनसँख्या अब बहुत कम रह गयी है । यहाँ आवागमन थोडा दुरूह था जिसे ग्रामीण पथों ने आसान बना दिया है । इस जिले में बाहय स्थानों से विस्थापित जनसंख्या समानुपातिक रूप में बहुत अधिक है । यह झारखण्ड और बंगाल राज्य का सीमा क्षेत्र है ।पूर्व दक्षिण में गंगा नदी कलकल करती है जबकि पश्चिम क्षेत्र में कोशी और उत्तर में महानंदा प्रवाहित होती है ।

कृषि उत्पादन के क्षेत्र में बिहार क्या पंजाब से भी उर्वरा धरा है जिसके कारण धान, पटुआ,मक्का,मखाना, मछली, लीची, मूंग, केला, आम,अनार, आलू, सब्जी आदि की खेती से यहाँ के किसान समृद्ध हैं । यहाँ की बलुआही मिट्टी की उर्वरा कि जितनी तारीफ की जाय कम है । मवेशी पालन जैसे भैंस, गाय, बकरी, बत्तख, मुर्गा यहाँ आम बात है । यहाँ के पानी में लौह खनिज की मात्रा सामान्य से अधिक है ।

यहाँ के लोग खाने पीने में शौक़ीन हैं ।यहाँ के लोग बंगाली सभ्यता से प्रभावित हैं । कटिहार NFR रेलवे का मुख्य केंद्र बिंदु हैं । कटिहार रेल मार्ग से आसाम, फारविसगंज, मालदह, मनिहारी, बरौनी से जुड़ा है । यहाँ के लोग कानून के पालन करने में राज्य में अव्वल हैं । मनिहारी जलमार्ग द्वारा साहिबगंज से जुड़ा है । कटिहार जिले में सिख पंथ के लोग भी कई गाँव में बसे हुए हैं ।

सम्प्रदायिकता और सहिष्णुता का अनूठा मिश्रण का केंद्र है । व्यावसायिक कारोवार में यह जिला अव्वल है । पूर्णिया और कटिहार एक twin शहर है जिसकी आपस की दूरी 27 KM है ।

मेरे लिए कटिहार जिला थोड़ा व्यक्तिगत रूप में कठिनाई से भरा रहा । प्रथम वर्ष में मेरा बुरी तरह से दुर्घटना हो गयी जिसमें मेरी छाती का रीव टूट गया। दूसरे वर्ष में स्पाइनल कोर्ड में सिस्ट के कारण delhi के गंगा राम में शल्य चिकत्सा कराना पड़ा और अंतिम वर्ष के समापन के समय में मैं मेरी प्रिय माँ की दुर्घटना में 6 मई 2016 को मौत हो गयी ।

कटिहार जिले के चतुर्मुखी विकास के लिए मैं कृत संकल्प रहा । मेरी तरफ से सभी कटिहार वासी एवं  ग्रामीण कार्य के तकनीकी और गैर तकनिकी सरकारी सेवक, जिला के कलेक्टर, जिला के प्रशासनिक पदाधिकारी और संवेदकों को भविष्य के लिए बहुत बहुत शुभकामना । मेरी कटिहार यात्रा में मेरे सहकर्मी और संवेदकों की सहभागिता का अहम् योगदान रहा । सभी जन प्रतिनिधि  एवं जिला के वरीय पदाधिकारी का अगाध स्नेह के लिए धन्यबाद ।

मेरा आप सभी को प्रणाम ।

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