आधुनिक भारत में मेरिट suppress करने का हुनर साक्षात्कार
भारत में जातिवादी पक्षधरता सदियों से एक बड़ी आबादी को शिक्षा एवम अन्य विकास के मानकों से किनारे करते रही है और भारतीय संविधान के बाद थोड़ा बहुत जो हक उपेक्षितों को मिलना शुरू हुआ उस को खत्म करने के लिए भांति-भांति के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। सरकारी सेवा में बहाली पर लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार का होना वंचित रखने का बेजोड़ हथकंडा है। 2021 के केंद्रीय लोकसेवा आयोग के टॉप 10 अभ्यर्थियों के लिखित और साक्षात्कार पर नजरें इनायत कर लें। दूध का दूध और पानी का पानी अलग दिख जाएगा ।नम्बर 1 पर जो शुभम कुमार हैं, ओबीसी वर्ग के हैं। उन्हें लिखित परीक्षा में 878 अंक मिले मगर साक्षात्कार में मात्र 176 दिए गए। वहीं नम्बर 2 पर जागृति अवस्थी को लिखित परीक्षा में 859 अंक मिले जबकि साक्षात्कार में 193। अंकित जैन को लिखित परीक्षा में 839 और साक्षात्कार में 212 अंक की कृपा हुई मगर 5 नम्बर पर ममता यादव को लिखित परीक्षा में 855 अंक तो मिले मगर साक्षात्कार में 187 दे दिया गया। यह है साक्षात्कार का खेल। इस देश में साक्षत्कार खुलेआम बेईमानी करने का अड्डा है । ऐसे में किसी भी चयन में मात्र लिखित परीक्षा होनी चाहिए और अभ्यर्थियों के नाम के बजाय, कोड नम्बर लिखा जाना चाहिए। साक्षात्कार मतलब भाई-भतीजावाद। अपनों का चयन। न्याय की हत्या।