Thursday, August 15, 2019

अर्थव्यबस्था या विनाश

5 billion US$ भारतीय अर्थव्यवस्था की चाहत में पहले ही 45 वर्ष में सबसे ज्यादा सांगठनिक, निजी एवम सरकारी नौकरियों के पदों में बहाली के अभाव के साथ साथ बेरोजगारी के दर में बढोत्तरी से देश बुरी तरह प्रभावित है ।

पहले ही निजी हाउस कॉन्सट्रक्शन उद्योग चेंरे की चाल से रेंग रहा है । इधर कई और उद्योग इस मंदी की चपेट में झुलस रहा है । आंकड़ों के हिसाब से Realty,  Automobile,  Steel, Infrastructure  ... आदि सेक्टर में मंदी के चपेट से लाखों कर्मचारियों के नौकरी जाने का भय व्याप्त है ।

PSU सेक्टर के साथ साथ केंद्रीय सरकारी नौकरी में एक नए सिद्धांत के अनुसार दक्षता मूल्यांकन से 55 वर्ष के पश्चात उच्च पद पर आसीन प्रशासक किसी को हटाकर अपनी ईगो शांत कर लेगें । नौकरी जाने के insecurity से लाखों करोड़ों कर्मचारी के दक्षता से सरकारी कार्य को कुप्रभावित होने से ईश्वर ही बचा सकते हैं ।

विमानन उद्योग के दो बड़े निजी निकाय JET, INDIGO के वित्तीय कुप्रभाव से असमंजस की स्थिति बनी हुई है ।

एक नई नीति के तहत IAS के संयुक्त सचिव  स्तर के पदों को बिना मेधा आधारित परीक्षा एवम समाजिक आर्थिक आरक्षण के अंतर्वीक्षा से लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर आसीन किया जाना शुरु है ।

अर्थव्यबस्था का यह हाल है कि GST को आज तक प्रासंगिक नहीं बनाया जा सका है । भारतीय अर्थव्यवस्था के राजस्व दरों और  नीतियों से विदेशी पूंजी प्रवाह में कमी आना शुरु हो गया है ।

बैंकों के NPA में कमी के आसार नहीं दिख रहे हैं । नकद पूंजी प्रवाह के कठोर नियम के कारण भुगतान संतुलन प्रभावित है;  जिससे देशी उद्यमी को वित्तीय नुकसान के साथ साथ गैर सरकारी गैर सांगठनिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर समाप्त हो गया है ।

राष्ट्रीय PSU को निजी क्षेत्रों में दिए जाने से भविष्य में घाटा तो कम की जा सकती है;  परन्तु बेरोजगारी से देश मे अर्थव्यवस्था में कमी आना लाजिमी है ।

म्यूच्यूअल फण्ड और शेयर में लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स से धीरे धीरे छोटे निवेशक का शेयर मार्केट से पलायन शुरु होने लगा है । PPF में लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स के समाचार आये दिन समाचार पत्र में प्रकाशित होने से नौकरी पेशा के लोग अनमनस्यक मन से इन्वेस्ट करने के कारण पूंजी जमा प्रभावित होने लगा है ।

सरकार द्वारा सामाजिक क्षेत्रों में डायरेक्ट सेविंग खाता में; आधार BASED छूट या लाभ दिए जाने से एक तरफ तो भ्रष्टाचार में कमी दिख रही है;  पर पूर्ववर्ती सरकारों की तरह गैर योजना वित्तीय घाटा में कमी के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं ।

कृषि क्षेत्र प्रकृति आधारित होने के कारण आपदाओं से भारतीय 60 प्रतिशत जनता की अर्थव्यवस्था पर सरकार की कोई ठोस नीति नहीं है । अलबत्ता इस सेक्टर के लोगों को बिना किसी कृषि नीति और अध्ययन के सभी लोगों को मासिक पेंशन से इस सेक्टर में जड़ता आने की पूरी गुंजाईश प्रतीत है ।

इस प्रकार अगर 5 billion US $ की अर्थव्यबस्था पहुँचकर भी भारत में बेरोजगारी, भुखमरी, कृषि विकास,  अशिक्षा, सामाजिक असंतुलन ... आदि से निजात सदैव दिवास्वप्न रह जायेगा और दो भारत का निर्माण होगा , एक समृद्ध भारतऔर दूसरा दीन भारत पर हम कहलायेंगे भारतीय ।