भारतीय वातावरण में जहाँ प्राकृतिक ने सभी ऋतुओं के आगमन और प्रस्थान का एक नियत समय निर्धारित है जिसमे मात्र 2 से ढाई माह ही शरद ऋतु के लिए अनुकूल हो, वैसे स्थान पर मौसम, चिकित्सा, आयुर्वेद, यूनानी,.... आदि ज्ञानों के आधार पर शराब को उपयुक्त नहीं कहा जा सकता है । धार्मिक मान्यताओं के आधार पर शराब सेवन एक बुरा व्यसन हीं नहीं अपितू गंभीर सामाजिक बुराई भी है । अतएव शराब को एक प्रथा के रुप में भारत में प्रचलित करना किसी भी रुप में जायज़ न था , न है और न होगा ।
अतएव मद्दनिषेध एक अच्छी शुरुआत हीं नहीं अपितू अच्छा संदेश भी है ।
अब बिहार में मद्दनिषेध के पश्चात के परिणाम पर नज़र डालें :---
1)बिहार राज्य में एक कड़े कानून के प्रावधानों एवम व्यापक प्रचार-प्रसार के पश्चात मद्दनिषेध को 100% लागू किया गया है ।
2) इस बात से सभी इत्तिफाक रखते होंगें कि मद्दनिषेध से हर वर्ग के लोगों को आर्थिक रुप से सम्पन्नता आएगी, विशेषकर अशिक्षित, अनपढ़, अकुशल मज़दूर वर्ग में ।
3) लगातार शराब सेवन के कुप्रभावों से स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से अधिक दुर्घटना, लीवर, हृदय रोग, डायबीटीज़, किडनी, चक्षु, गैस्ट्रिक, पेट की समस्याओं आदि असाध्य रोग के कारण या तो जीवन नरक तुल्य हो जाता है अन्यथा विवश होकर काल के गाल में समाना पड़ता है ।
4)किसी भी निषेधात्मक कार्य को प्रशासन के द्वारा शत प्रतिशत लागू करने से इंस्पेक्टर राज की मदद से भ्रष्टाचार में बढ़ोत्तरी अवश्यम्भावी है ।
5) जिसका भय था वही बिहार में हो रहा है । भय के वातावरण के कारण पुलिस, प्रशासन, इंस्पेक्टर की चांदी ही चांदी है ।
6) प्रश्न है कि अशिक्षित या लत के कारण कुछ व्यक्ति कभी कभार शराब सेवन कर ही रहे हैं । शराब की आपूर्ति व्यवसाय कालाबाज़ारी के रुप में फलने फूलना लगा है जिसमें प्रशासन की सहभागिता भी परिलक्षित हो रहा है । कारण कि अगर पूर्ण शराबबन्दी में शराब मिलता क्यों है । अगर मिलता है , तो उसके लिए उत्तरदायी कौन है । निश्चित रुप में प्रशासन या कालाबाज़ारी करने वाला, अन्यथा कोई शराब पीता ही नहीं ।
7) शराब पीने के पश्चात अगर प्रशासन किसी को कानूनी रुप मे दोषी मान लिया तो सजा अर्थात जेल । पर हो यह रहा है कि सामर्थ्यवान अधिक खर्च कर कालाबाज़ारी से शराब प्राप्त कर सेवन करते हैं और पकड़े जाने पर पैसे के बल पर प्रशासन से बरी हो जा रहे हैं ।
परन्तु गरीब कम पैसे रहने के कारण उच्च भ्रस्टाचार की आपूर्ति करने की अवस्था के कारण जेलों में बन्द हो रहे हैं ।
कई कारागार में 45000 कैदियों में से 44000 कैदी मात्र शराब सेवन के दोषी के कारण बन्द हैं ।
8) अर्थात रोजगार करने वाला असंगठित गरीब मज़दूर जेलों में बंद है । इसके लिए दोषी कौन है ?
9) अगर शराब बिहार में नहीं बिकती तो ये लोग नहीं पीते । कोई माफिया है जो प्रशासन की साँठ गाँठ से शराब लाता है । बाहर से कालाबाज़ारी न रोकने से भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है और उसके बाद पीने पर भ्रष्टाचारी के सौदेबाज़ी में जो फंस गए , वह जेल की शरण में है । कुल मिलाकर अभी के नियम से भ्रष्टाचार में बढ़ोत्तरी हो रही है ।
10) अतएव राज्य सरकार से निवेदन है कि मानव शक्ति में कारागार के कारण जो ह्रास हो रहा है और जमानत में न्यायालयों में राशि व्यय होने के बाद भी ट्रायल में गरीब की परेशानी को ध्यान में रखकर साथ ही भ्रष्टाचार में कमी लाने के उद्देश्य को देखते हुए पुनः मद्दनिषेध कानून में परिवर्तन की जाय ।