Saturday, November 11, 2017

दीपावली और धर्मपत्नी का इनटॉलेरेंस वर्ष 2015

#दीपावली में धर्मपत्नी का #इंटोलेरेंस का शिकार

#व्यंग्य

 मैं आज सुबह सुबह ब्रह्म मूहूर्त में उठकर नित्यकर्म अर्थात शौच आदि से निवृत होकर अपलक बीबी की आँखों में आँखे डालकर किसी काम में सहयोग करने हेतु कातर दृष्टि से दृष्टिपात कर रहा था । वैसे मैं बतला दूँ कि बीमारी के बाद मैं 60 % से ऊपर रिकवरी कर गया हूँ । मैं सोंच रहा था कहीं मुझे पर्दा लगाने का काम मिल जाए तो अगले शनिवार को बजरंगवली पर 2.25 किलो लड्डू चढ़ा दूंगा । बिमारी के दरम्यान मैं 30 अक्टूबर से घर की साफ सफाई होते पहली बार पूर्ण आराम की अवस्था में बगुला भगत की तरह अपलक देखता था । निगाहें शनि की महादशा आने की डर से एंड्रोइड पर कुछ करते रहता था । शुक्र है कि मैं आराम से सभी बाउंसर सोये सोये झेल गया ।लक्ष्मी माँ इतनी प्रसन्न हुयी की घर रहते भी मुझे धनतेरस को घर में हीं बीमारी के नाम से पैसे में कुछ कम बर्बादी हुई ।हालाँकि कि घर की लक्ष्मी से हमने यह नहीं पुछा कि धनतेरस में तुम क्या खरीदी । गरज के साथ ओले बरसने का भय मन में रहता था अभी समाप्त नहीं हुआ है ।

एक बात याद आई एक दिन बीबी से मिक्सी को साफ करते करते हाथ से फिसलकर फर्श पर आ गया और मिक्सी का हर पूर्जा बिखर गया, आव न देखा ताव मौके की नजाकत को भाँपते मैं बोलना शुरू कर दिया, दीपावली में जितना का साफ सफाई न होता है उतना तो बर्बादी होती है, कौन कहता है साफ करो? दो चार अपशब्द भी जड़ दिए ताकि भविष्य में भी कोई काम का अवसर न मिले । बीबी सामान गिरते झेंपते हुए बोलीं कि क्या हुआ पुराना सामान है और कितना दिन चलेगा? इस पर मैं गुस्से में तपाक से बोला कि तुम पुरानी हो गयी हो तुम्हें भी बदल दूँ क्या ? लेकिन बेबकूफ मेरा  अपार्टमेंट का गार्ड , एक दिन में पत्नी के कहने पर मात्र 100 रु में 22 साल पुराना मिक्सी बनबा लाया । मैं तो चाहता था कि पुराना सामान है ठीक हुआ इसी बहाने नया मिक्सी भी घर में दस्तक देगी और गाहे बेगाहे जब नयी मिक्सी पर नज़र पड़ेगी बीबी पर बरस पड़ेगें । बीबी के लिए सदा के लिए 4000 रु में चाभुक । उस दिन हमको पता चला कि पत्नी को गृहलक्ष्मी क्यों कहते हैं 4000 रु का काम 100 रु में ।

बैसे मैं अपने निक्कमेपन की सच्ची बात बता देता हूँ । घर में कोई सामान खराब होता था तो प्रारम्भ में बनाने लगता था । दो तीन बार मेरे मरम्मति के हुनर से पुरा का पूरा सामान ही बर्बाद हो गया और पत्नी से कोढ़ी होने का ठप्पा लग गया । कोढ़ी के ठप्पे ने मुझे घर में बिगड़ते उपकरणों की मरम्मति से निज़ात दिला दिया और बढ़ते उम्र ने रिपेयर के शौक को जमींदोज़ कर दिया । जब सामान बिगड़ता है तब मेरे अपार्टमेंट के 2- 3 मित्र पर गुस्सा आता है । इन मित्रों के रिपेयर के अति सुन्दर गुण के कारण पत्नी दो चार उलाहने के साथ साथ कामचोर कहना नहीं भूलती थी । उस समय मन तो करता है कि मित्रों का हाथ हीं काट डालूँ , न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी , लेकिन मेरे पुराने मित्र का दूसरे के घर में बिगड़े उपकरण को बिना किसी लाग लपेट के रिपेयर करने का शौक है । हालाँकि मित्र के इस शौक से अपार्टमेंट के अधिकांश काम चुटकी में हो जाते हैं । मैं मित्र के मिस्त्रिगिरी में टेल्हा का काम कभी कभी करता हूँ । लेकिन मैं कितना कामचोर हूँ यह इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि उस्ताद की शागिर्दी में मैं अभी तक टेल्हे रह गया ।

सुबह सुबह बिना चीनी की बीबी द्वारा हर्बल चाय से और कोई काम न मिलने का जानते हीं बजरंगबली में मेरी आस्था बढ़ गयी । मेरी उम्र शास्त्रों के हिसाब से चौथे पन में दस्तक दे रहा है पर दिल है कि मानता नहीं, मुँह झूठ न बोलवाये , मुँह मारने की इच्छा प्रबल रहती है ।पता नहीं आपलोग कैसे पत्नीभक्त हो गयें हैं । मेरी बीबी के पास आकर पत्नीभक्त बाला टेबलेट का नाम मत बता दीजियेगा । आज घर में दाई के आने के लिए बजरंग बाण पढ़ रहा था ।दाई के न आने से घर का पूरा वातावरण कोल्ड वॉर में तब्दील हो जाता है और मैं सहमा सहमा दिन कटने की प्रतीक्षा करता हूँ ।दिन वर्ष की भाँति बेशर्म की तरह गुज़रता हीं नहीं है ।खैर आज दाई आ गयी है, मौसम सुहावना बने रहने की पूरी संभबना है , फिर भी मौसम तो मौसम है । प्रकृति पर किसी का वश चला है क्या? मैं अपनी दाई का नाम पत्नी के सामने नहीं ले सकता हूँ कारण कि उसका नाम भी वही है जो मेरी सासु माँ की है । पूर्व में एक दाई थी जो मेरे पड़ोसी के यहाँ भी दाई का काम करती थी । उसके आने पर मैं और मेरे पड़ोसी यह गाना गुनाते थे मोना मोना आई हज़ारों खुशीयाँ लाई । यहाँ स्पष्ट कर दूँ कि भूतपूर्व दाई का नाम मोना था । यह नाम अब तक याद है इसका कारण तो आपलोग समझ ही गए होंगे ।

आज मैं किसी भी रिस्तेदार का फ़ोन आने पर तुरंत बोलता हूँ लीजिये मेरी बीबी से बात कीजिये । तुष्टिकरण की नीति का अक्षरशः पालन कर रहा हूँ । बीबी से पूछ लिया हूँ कि स्नान करने के पहले मुझको याद दिला दीजियेगा । क्योंकि मैं पहले स्नान कर लूँगा और मेरी पत्नी को मेरे कपडे ससमय साफ कर स्नान करने में समय की बचत होगी ।

आज किचन में एक मोटी रोटी पकते देख मैं मौके को ताड़ते हुए झट से काम को लपक लिया । कमासुत जो हम ठहरे । लाईये परथन के रोटिया को दीजिये बाहर कुत्ता को खाने के लिये रख आता हूँ । पत्नी कुछ नहीं बोली , झट से इसे काम समझकर रोटी को बाँये हाथ से उठाया और कुत्ता को बॉउंड्री से बाहर जोर से फेंका, आखिर एक काम को सही से करने का वक्त की टोह में जो था । किस्मत मेरी दगा दे गयी , पूरी रोटी सड़क के दूसरी तरफ अपोजिट अपार्टमेंट के बाउंडरी के अंदर गिरा । शर्म के मारे मुँह छिपा कर घर में आकर आपलोगों से मुखातिब हो गया । भगवान कितना निष्ठुर है मेरे एक बने हुए काम को होते देख ईर्ष्यावश उसे भी बिगाड़ दिया । भगवान का भी भला मत होने देना ।

वैसे तो सास बहू के किस्से तो मशहूर हैं । हिरोशिमा और नागासाकी पर बम बर्डिंग के वक़्त भी उतने आवाज़ नहीं हुए होंगे जितने की भारतीय सास बहु के बीच । हमारा घर भी इस क्लेश से अछूता नहीं है । एक बात बता दूँ दोनों में झगड़ा भी पंडिताईन की वजह से ही होता है । मेरे घर में होड़ मची है कि कौन बड़ा पंडिताईन है और कौन कितना अधिक समय पूजा रूम में बीताता है ? दोस्ती भी सास पुतोह में पूजे के दिन ही होता है । हाय रे मूर्ति पूजा । इस वर्ष छोटी दीपावली अर्थात नरक चतुर्दशी की रात्रि में पूजा के समय मेरी पत्नी की पूजा करते वक हिंदी फ़िल्म धर्मवीर में धर्म और वीरू की जोड़ी में प्रेम जैसी जोड़ी दिखाई दे रहा था । कितना दिया जलेगा ? भगवान पर ?तुलसी जी पर ? सिलौटी पर  ? कुँआ के प्रतीक के रूप में बाहर बालकनी के बेसीन वाले नल के समीप ? मेन गेट पर? मेरी आत्मा तृप्त हो गयी काश रोज़ दीपावली होती और घर में सास बहू में मिल्लत रहता !
अरे मैं तो अपने हीं घर का पोल खोल रहा हूँ अब नहीं बताऊँगा । आपलोग बड़ी चतुर हैं । कृपया एक गुज़ारिश है इस कहानी को मेरे घर से दूर हीं रखीयेगा ।

Friday, October 27, 2017

छठ पर्व की विशेषता



1) यह माटी अर्थात मातृभूमि से जुड़ने को प्रेरित करता है ।
2) यह आधुनिकता की चकाचौंध से दूर यथार्थ दुनिया की वास्तविकता की ओर जागृत करता है ।
3) यह टूटते बिखरते परिवार को संयुक्त परिवार में रहने और उसके प्रभाव की ओर रेखांकित करता है ।
4) यह दो या तीन कमरे के फ्लैट से निकलकर गाँव घर मे ड्योढ़ी आंगन की ओर प्रकृति की गोद मे रहने की प्रेरणा देता है ।
5) यह शहरीकरण की व्यस्ततम जिन्दगी से दूर माँ की पथराई आंखों से कम से कम एक बार टकटकी लगाकर निहारने से माँ की दूध का कर्ज का अहसास दिलाता है ।
6) यह मनुष्य के एक सामाजिक प्राणी होने का सुखद अहसास दिलाता है ।
7) यह समानता समरसता का पाठ सीखाते हुए गरीबी-अमीरी, जात-पात, ऊँच-नीच का भेद-भाव को मिटाता है ।
8) यह प्रकृति की महत्त्वपूर्ण योगदान और उसके होने का अहसास कराता है ।
9) यह स्वच्छता का पाठ पठाता है ।
7) यह प्रकृति से बनने वाले जीवन यापन के संसाधनों से जुड़ने के अवसर के साथ आत्मनिर्भरता का पाठ पठाता है ।
8) यह मैं और हमलोग में अन्तर को प्रयोगकर, मैं हीं श्रेष्ठ हूँ यह मिथ्या है, बखूबी समझाता है ।
9) यह नारी शक्ति का अहसास दिलाता है ।
10) यह खाने में शुद्धता और पवित्रता के महत्व को समझाते हुए शाकाहारी बनने की ओर जागृत करता है ।
11) जंकफूड की ओर प्रेरित सभ्यता को रफेज़ अर्थात रुखड़ा मोटा अनाज खाने जैसे कद्दू दाल, सेंधा-नमक, अगस्त के फूल, लकड़ी की अंगीठी पर मिट्टी के चूल्हे में खाना पकाने, गुड़ से बने व्यंजन खीर और ठेकुआ , जांता का पीसा आँटा , लडुआ , प्रकृति तुच्छ फल की आवश्यकता और महत्ता आंवला, शकरकंद, सुथनी, त्रिफला, ईख, पनीफल सिंघाड़ा, आदि की वास्तविकता और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी आम या चिड़चिड़ी का दतवन होने के अहसास से रूबरू कराता है ।
12) यह भारत की समाज की विविधता की महत्ता के साथ साथ गरीबी से जूझने वाले कुटीर उद्योग जैसे मिट्टी के बर्तन, चूल्हा, सिलौटी-लोढ़ी, सुप, दौरा, गोईठा, आम की लकड़ी से जुड़े व्यवसायिक ग्रामीण जनता की आर्थिक श्रोत को मजबूती प्रदान करता है ।
13) यह पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करने की प्रेरणा के साथ साथ एकोफ़्रेंडली  और sustainable development की तरफ मनुष्य को प्रायोगिक रुप मे जगृत करता है ।
14) इसमें मंत्र , पुरोहित पर आश्रित रहने से मुक्त होने की सिख देता है ।
15) यह बिहार की विरासत और गौरवशाली इतिहास के साथ साथ संस्कृति, गणतन्त्र, भाईचारा .... के संदेश को विश्व भर मे सबक के रुप में प्रत्येक वर्ष याद कराता है ।

Thursday, August 17, 2017

बिहार में वर्ष 2017 की बाढ़ की विभीषिका

बिहार में इस वर्ष प्राकृतिक आपदा के नाम सेआई बाढ़ का प्रलय बिहार में सुशासन की सरकार की कई परतों की तह पर प्रकाश डालता है ।
1) राज्य में जल को संसाधन मानकर केन्द्र की भांति जलसंसाधन विभाग दशकों से अभियंत्रण बिभाग के रुप में सबसे बड़ा बिभाग कार्यरत है ।इस बिभाग की प्रधानता इसीसे परिलक्षित है कि इस बिभाग में एक काबीना मंत्री के मातहत प्रधान सचिव सहित दशकों अन्य प्रशासनिक पदाधिकारी के साथ साथ 3 अभियंता प्रमुख, 20 मुख्य अभियंता, 106 अधीक्षण अभियंता, 370 कार्यपालक अभियंता के अतिरिक्त हज़ारों सहायक अभियंता / कनीय अभियंता कार्यरत है । जल संसाधन विभाग की संरचना हीं इसकी प्रमाणिकता और प्रधानता बयान करता है जो इसे अन्य अभियंत्रण बिभाग से मीलों आगे होना सिद्ध करता है ।
2) इस वर्ष आई बाढ़ की विनाशलीला बिहार के 11 करोड़ जनता को रोंगटे खड़ा कर रहा  है । उत्तर बिहार के 17 जिलों में आई बाढ़ की त्रासदी सैकड़ों मनुष्य को काल के गाल में निगल लिया है । हास्यास्पद तो यह है कि इस वर्ष मौसम विभाग द्वारा सही पूर्वानुमान के साथ साथ कई नदियों में अधिकतम जलप्रवाह से कम जलश्राव के वावजूद भी नदियों के रिकार्ड तटवन्ध ध्वस्त हो गए हैं । इसके लिए सरकार चूहों को उत्तरदायी बनाकर अपने ऊपर से पल्ला हटाने का षड्यंत्र करना प्रारम्भ कर दी है ।
आजादी के बाद बिहार राज्य के नदियों के इतने तटबन्धों का टूटना कहीं सरकार की प्रशासनिक विफलता का नमूना तो नहीं है या प्राकृतिक आपदा जिस पर तकनीकी ज्ञान के वाबजूद भी मानव आज बेवस है ।

3) जल संसाधन विभाग द्वारा गत वर्ष बाढ़ संसाधन के नाम पर विभाग का पुनर्गठन कर सिंचाई सृजन एवम बाढ़ प्रक्षेत्र के नाम पर दशकों से चल रहे जलसंसाधन विभाग को क्षिन्न भिन्न कर दिया है । जल या नदियों के नियंत्रण हेतु भौगोलिक सीमा को ध्यान के साथ साथ अल्प समय मे नियंत्रण पदाधिकारी के निरीक्षण को ध्यान में रखना अनिवार्य है । इसका उदाहरण इस प्रकार है कि एक मुख्य अभियंता दरभंगा जिला की सीमा से सीतामढ़ी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी एवम पश्चिमी चंपारण जिलों तक प्रवाहित सभी प्राकृतिक नदियों का किस प्रकार से निरीक्षण कर सकता है । पूर्व से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किये गए कार्यक्षेत्र के पुनर्गठन की प्रशासनिक विफलता का परिणाम तो रेकॉर्ड ध्वस्त बांधों की कहानी बयान तो नहीं करता है ।
4) राज्य में नदियों के बांधों की सुरक्षा हेतु एक वार्षिक बाढ़ कैलेन्डर बनाया हुआ है जिसे बाढ़ के बाद एक निर्धारित अवधि में TAC/ SRC/ TENDER की प्रक्रिया पूरा कर कार्य 15 जून के पूर्व पूरा कर लिया जाना है । इस वर्ष कई निविदाओं को प्रकाशन 3 से 4 बार इसलिए किया गया था कि चहेते संवेदकों को कार्य आवंटित किया जाय जिसमें सबको भ्रष्टाचार रुपी गंगा में  वैतरणी पार करने का समुचित अवसर मिले । यह सरकार की भ्रष्टाचार पर प्रशासनिक गहरी साजिश की तरफ इशारा करता है ।
5) कमला बलान नदी में स्पेशल रिंगवान्ध की स्वीकृति जिसमें good earth के साथ ढुलाई की मिट्टी का प्रावधान होने के वावजूद नदी में आई जलप्रवाह ने अनेकों स्थानों पर नदी के तटवन्ध को ध्वस्त कर दिया । क्या यह सरकारी प्रशासनिक , तकनीकी विफलता का परिणाम तो नहीं है ?
6) गंडक नदी में अधिकतम जलश्राव 6.75 लाख क्यूसेक के लिए बांधों का निर्माण कराया गया है । परन्तु विडम्बना यह है कि मात्र 5.25 लाख क्यूसेक डिस्चार्ज पर गोपालगंज जिला अवस्थित पिपरा पिपरासी एम्बनकमेन्ट भरभरा कर ध्वस्त हो गया । इसकी निविदा मे भी बंदरबांट या निविदा की अनियमितता एक अलग रोशनी देगा । इसमें भी कई बार निविदा प्रकाशित कर मनमाफिक संवेदक को कार्य आवंटित की गई है । इसी प्रकार पतराही छरकी के साथ भी समरुप निर्णय लिए गए हैं ।
7) महानंदा नदी के सुरक्षा के लिए भी चार बार निविदा आमंत्रित कर निविदा में अनियमितता कर मनमाफिक संवेदक को कार्य आवंटित की गई है और निविदा के निष्पादन में अधिक समय लगने के कारण कार्यकारी समय मात्र एक माह मिलना तटवन्ध के टूटने का कारण तो नहीं है  ।
8) असलियत में एक गहरी साजिश रची गई थी कि काम न करने के बाद बची हुई राशि का बंदरबाँट कर ली जाय । ऐसे भी नदियों में वर्षा ऋतु के बाद यह पता लगाना असम्भव है कि सचमुच में बाढ़ पूर्व कितना काम सम्पादित हुआ था ।
9) बागमती नदी के बांधों की सुरक्षा पर प्रकाश डालना ही भ्रष्टाचार की परत खोलना है । Single श्रोत पर एक संवेदक को प्राकलन बनाने से लेकर कार्य करने का दायित्व है जिसे एस्टीमेट घोटाला से भुगतान घोटाला भी कह सकते हैं ।
10) इस वर्ष कनकई , महानंदा, गंडक, बूढी गंडक, पाण्डुई,अधवारा समूह की नदियों, बागमती,आदि नदियों में आई प्रलयंकारी बाढ़ की विभीषिका का इसी तथ्य से एक गहरी सरकारी प्रशासनिक विफलता का प्रमाण है कि गंगा और कोशी नदी मुख्य बेसिन की तलहट में पानी रहने के बावजूद भी बिहार राज्य के पूर्वी - पश्चिमी चंपारण, मुज़फ़्फ़रपुर, गोपालगंज, सिवान, सारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, मधेपुरा, सुपौल, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज आदि जिलों के कई शहरों में 20 दिनों के बाद पानी का निकास सम्भव हो सकेगा ।
11) सरकारी प्रशासनिक विफलता के कारण सदी की सबसे बड़ी नरसंहार जो प्राकृतिक आपदा के नाम पर करने की संलिप्तता के कारण बाढ़ के बाद खाद्यान - स्वच्छ जल आपूर्ति , यातायात बहाली, दूरसंचार व्यवस्था चालू करने के साथ साथ बाढ़ के पश्चात महामारी की रोकथाम एवम पुनर्वास के लिए सरकार को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा । यह चुनौती जल संसाधन विभाग की निष्फलता एवम कदाचार का दुष्परिणाम है ।
12) जल संसाधन विभाग की कदाचार एवम सरकारी प्रशासनिक अक्षमता इस तथ्य से भी परिलक्षित है कि क्या कार्मिक विभाग के द्वारा निर्गत निर्देशों के वावजूद अभियंता प्रमुख एवम मुख्य अभियंता के पद पर वरीयता में जूनियर पदाधिकारी को चालू प्रभार या प्रतिनियुक्ति कर सीनियर योग्य अभियंता को नियमित प्रोन्नति नहीं देकर भ्रष्टाचार में लिप्त अभियंता को पद एवम पैसे का लालच/ भय/ प्रलोभन देकर लूट को नियमानुकूल परिभाषित किये जाने का परिणाम ही हज़ारों जन मानस एवम लाखों मवेशियों  की मृत्यु का कारण तो नहीं है ।
13) राज्य के  मुख्य मंत्री जो देश में Good Governance के रुप मे प्रख्यात है उनसे राज्य की जनता यह अपेक्षा करती है कि  सरकार की इस प्रशासनिक विफलता  की सत्यता उजागर कर अपने स्वच्छ छवि को Man Made आपदा के खून के छीटे से दागदार साबित होने से बचाएं।
14) अतएव माननीय मुख्यमंत्री से यह अनुरोध है कि प्राकृतिक आपदा के षड्यंत्रों के दोषी पदाधिकारियों , मंत्री, जो एक आपराधिक दंड की श्रेणी में है, की अनियमितता की जांच हेतु रिटायर्ड उच्च न्यायालय के जज की अध्यक्षता में एक निष्पक्ष स्वतंत्र आयोग का गठन की जाय एवम Man made प्राकृतिक आपदा के दोषी की पहचान जिसके कारण उत्तर बिहार के करोड़ों नागरिकों को जान माल का नुकसान पहुंचाया गया है, का पर्दाफाश कर बिहार वासी के साथ ऐसे कुकृत्य करनेवालों के विरुद्ध करवाई कर अपने नाम के अनुरुप न्याय निर्णय दिलाने की कृपा करें ।