आर्युवेदिक पद्दति में वायु, पित्त, विकार, आहार को बिमारियों का जड़ माना गया है । भोजन/ आहार की अशुद्धता से पाचन तंत्र में गड़बड़ी पैदा होती है । आहार में संयम नहीं करने से वायु/ गैस पैदा होता है जो गांठ के पास जमा हो जाता है एवं रक्त के प्रवाह में रोड़ा पैदा करता है । परिणामस्वरूप शरीर के जोड़ों में असहनीय दर्द पैदा होता है । बढ़ते उम्र के कारण जोड़ों में तैलीय द्रव्य की कमी भी दर्द का कारण है ।
आहार
1. सुबह नियमित रूप में टहलें अवधि 45 मिनट .
2. दिन भर में कभी पेट को खली न रखें .
3. कम से कम 24 घंटे में 3 से 4 बार अल्प सुपाच्य ताजा पका खाना खाएं । गरिष्ठ एवं बासी/फ्रिज में रखे खाना तथा पैक्ड फूड न खाएं ।सब्जी में भिन्डी, लौकी, नेनुआ, झिंगिनी का सेवन करें । खाने में कड़े या पचने में विलम्ब से बचें । खट्टा किसी भी प्रकार का even दही, जूस, आचार, निम्बू , टमाटर ..अदि से परहेज करें । गर्म पदार्थ का सेवन न करें ।गाय का दूध सेवन करें । खाली पेट रहने पर जल का सेवन कर लें ।
2. दिन भर में कभी पेट को खली न रखें .
3. कम से कम 24 घंटे में 3 से 4 बार अल्प सुपाच्य ताजा पका खाना खाएं । गरिष्ठ एवं बासी/फ्रिज में रखे खाना तथा पैक्ड फूड न खाएं ।सब्जी में भिन्डी, लौकी, नेनुआ, झिंगिनी का सेवन करें । खाने में कड़े या पचने में विलम्ब से बचें । खट्टा किसी भी प्रकार का even दही, जूस, आचार, निम्बू , टमाटर ..अदि से परहेज करें । गर्म पदार्थ का सेवन न करें ।गाय का दूध सेवन करें । खाली पेट रहने पर जल का सेवन कर लें ।
औषधीय उपचार
1. दिन- रात में दो बार तीन spoon गाय के दूध में एक spoon अरंडी का तेल मिक्स कर भोजन के उपरांत लें ।
2.तीन -तीन स्पून दसमूलारिष्ट में एक spoon अशोकारिष्ट मिक्स कर प्रति दिन तीन बार सेवन करें
2.तीन -तीन स्पून दसमूलारिष्ट में एक spoon अशोकारिष्ट मिक्स कर प्रति दिन तीन बार सेवन करें