कहाँ से शुरू करूं और कहाँ अन्त .मैं भी उलझन में फंसा हूँ आज की भारतीय राजनिती की मिजाज़ से . फिर भी मैं itellectual अर्थार्त लाचार हूँ, लिखे बिना रह भी नहीं सकता . बहुत फख्र करता हूँ की मैं भारतीय हूँ . परन्तु आज की राजनिती से हताश हूँ उनकी छलावा से . सभी वोट की जुगाड़ में हैं . इसे आज के परिपेछ्य में ऐसा समझे की सिर्फ राजनीतीज्ञ हीं भारत के नागरिक के रखवाले हैं . यह हैं हमारे संविधान के रखवाले . भाई तुम्हे इन सभी राजनीतिज्ञ को nota बटन दिखाना होगा .नहीं तो तुम अपना भविष्य दूसरो के हाथ में देकर पांच साल क्यों निश्चिन्त हो जाते हो .किसी ने ठीक ही कहा है जिन्दा व्यक्ति बार बार नहीं मरती . शाहाश तो जूटाओ ...एक बार तो समझ से काम लो . गोली.. बन्दूक किसी चीज की जरूरत नहीं है, सिर्फ अभिव्यक्ति की जरूरत है . जागो ..उठो निशाना nota से साधो .