क्या बिहार सरकार के नौकरशाह अपनी सारी मर्यादायों को ताक पर रख दिया है ? बिहार सरकार की इस विषय पर बहुत फजीहत उठानी पड़ी .
माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी शाषण में आते ही बिहार सरकार के सभी कर्मी को मर्यादित आचरण का व्यवहार , अनुशाशन , संयम, कानून आदि में रहने का पाठ पढाया था .जिसका नाम कालांतर में सुशाशन पड़ा. यही मूल शब्द पुरे देश में फैली और बिहार का यह पहचान बना .बुद्ध के देश में जहाँ सारे राजनीतिज्ञ बिष- वमन कर नौकरशाहों के क्ष्दम बाजीगिरी से सता का स्वाद चख रहे थे उसी समय एक राजनीतिज्ञ की यह सोंच वनी की सत्य , अहिन्षा, सयंमित आचरण, लोकतान्त्रिक मर्यादा और सद्विचार से बिहार रुपी बिमारू प्रदेश को पहचान मिलेगी एवम देश में हो रही विकाश की मुख्या धारा से जुड़ेगा.इसमें कोई शक नहीं की इस अवधारणा से बिहार का नवनिर्माण हुआ.
नौकरशाह के चलते ही भारत जिस प्रकार संसार में विकाश , भ्रस्टाचार , लॉ and आर्डर में बिमारू देश की गणना में की जाती है ठीक उसी प्रकार बिहार भी संजय अग्रवाल जैसे नौकरशाहों की वजह से बिमारू प्रदेश से कभी भी नहीं उबरेगा .
हमलोगों को इन नौकरशाहों को मर्यादित आचरण में रहकर कानून के सहारे सबक सिखाने की जरूरत है . जो बिधुत भवन में घटना घटी यह सभ्य समाज को तार - तार कर रख देता है . अगर संजय अग्रवाल एवम कुछ भ्रष्ट पूलिसतन्त्र के चलते पूरे बिहार को अंधकार युग की याद आयी इसमें बिधुत कर्मी के दोष को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है .परन्तु सबसे ज्यादा जिसे ठेंस लगी वह है बिहार के सुशाशन के संकेत को .
यदपि इस तरह के नौकरशाह के द्वारा गैर संसदीय / अलोकतान्त्रिक / अमर्यादित / अशोभनीय हरकत से उत्पन्न परिस्थिति से सरकार उबर चूकी . बिहार का नौकरशाह इसके लिए सांकेतिकरूप में बिहारवासी से माफी मांग कर पथप्रदर्शक का काम कर सकता था . परन्तु नौकरशाह तो अव्वल दर्जे का घमंडी / मिथ्याचारी / भ्रष्ट / अनुशाशंहीन है इससे इस तरह की मिसाल मिल ही नहीं सकती है .
बिहार के मुखिया को अब सचेत होकर इस घटना से सबक लेकर भविष्य में संजय अग्रवाल जैसे नौकरशाह से निजात लेने का समय आ गया है . यह घटना की पुनरावृति न हो इसके लिए कुछ नौकरशाह को नाथने / सवक सिखाने का वक्त आ गया है . समय ही शिक्षा देता है और इस मुहावरे को चरितार्थ करने का समय आ गया है ..
क्या बिहार सरकार के नौकरशाह अपनी सारी मर्यादायों को ताक पर रख दिया है ? बिहार सरकार की इस विषय पर बहुत फजीहत उठानी पड़ी .
माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी शाषण में आते ही बिहार सरकार के सभी कर्मी को मर्यादित आचरण का व्यवहार , अनुशाशन , संयम, कानून आदि में रहने का पाठ पढाया था .जिसका नाम कालांतर में सुशाशन पड़ा. यही मूल शब्द पुरे देश में फैली और बिहार का यह पहचान बना .बुद्ध के देश में जहाँ सारे राजनीतिज्ञ बिष- वमन कर नौकरशाहों के क्ष्दम बाजीगिरी से सता का स्वाद चख रहे थे उसी समय एक राजनीतिज्ञ की यह सोंच वनी की सत्य , अहिन्षा, सयंमित आचरण, लोकतान्त्रिक मर्यादा और सद्विचार से बिहार रुपी बिमारू प्रदेश को पहचान मिलेगी एवम देश में हो रही विकाश की मुख्या धारा से जुड़ेगा.इसमें कोई शक नहीं की इस अवधारणा से बिहार का नवनिर्माण हुआ.
नौकरशाह के चलते ही भारत जिस प्रकार संसार में विकाश , भ्रस्टाचार , लॉ and आर्डर में बिमारू देश की गणना में की जाती है ठीक उसी प्रकार बिहार भी संजय अग्रवाल जैसे नौकरशाहों की वजह से बिमारू प्रदेश से कभी भी नहीं उबरेगा .
हमलोगों को इन नौकरशाहों को मर्यादित आचरण में रहकर कानून के सहारे सबक सिखाने की जरूरत है . जो बिधुत भवन में घटना घटी यह सभ्य समाज को तार - तार कर रख देता है . अगर संजय अग्रवाल एवम कुछ भ्रष्ट पूलिसतन्त्र के चलते पूरे बिहार को अंधकार युग की याद आयी इसमें बिधुत कर्मी के दोष को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है .परन्तु सबसे ज्यादा जिसे ठेंस लगी वह है बिहार के सुशाशन के संकेत को .
यदपि इस तरह के नौकरशाह के द्वारा गैर संसदीय / अलोकतान्त्रिक / अमर्यादित / अशोभनीय हरकत से उत्पन्न परिस्थिति से सरकार उबर चूकी . बिहार का नौकरशाह इसके लिए सांकेतिकरूप में बिहारवासी से माफी मांग कर पथप्रदर्शक का काम कर सकता था . परन्तु नौकरशाह तो अव्वल दर्जे का घमंडी / मिथ्याचारी / भ्रष्ट / अनुशाशंहीन है इससे इस तरह की मिसाल मिल ही नहीं सकती है .
बिहार के मुखिया को अब सचेत होकर इस घटना से सबक लेकर भविष्य में संजय अग्रवाल जैसे नौकरशाह से निजात लेने का समय आ गया है . यह घटना की पुनरावृति न हो इसके लिए कुछ नौकरशाह को नाथने / सवक सिखाने का वक्त आ गया है . समय ही शिक्षा देता है और इस मुहावरे को चरितार्थ करने का समय आ गया है ..