अवार्ड INC या BJP के नहीं होते राष्ट्रीय अवार्ड देश के प्रतीक होते हैं । क्या बिहार में विकाश नहीं होने के लिए लोग INC विरोध के कारण श्री बाबू को भी कोसेगें । आर एस एस की कुछ सोचने के तरीके से देश में विघटनकारी तत्वों को बल मिल रहा है । जिस संगठन ने देश की गुलामी के समय अंग्रेजों का साथ दिया, जिसने राजीव गांधी के काल में कम्प्यूटरीकरण एवं FDI का विरोध किया, सत्ता में आने पर Digital India और FDI में % की बढ़ोतरी कर दी । FDI में % बढ़ोत्तरी एवं Digital India का विरोध के रूप में उल्लेख नहीं किया गया है । बीजेपी का दोहरा चरित्र उजागर हो रहा है । सरकार में बैठे लोगों एवं उनसे जुड़े संगठनों का अर्थात मालिक का दायित्व घर में सभी लीगों को साथ लेकर चलने का दायित्व अधिक होता है और ठीक वैसे समय जब सरकार प्रचंड बहुमत से जीती हो । BJP headed वाजपेयी जी की सरकार के काल में देश में इस तरह की घटना दृष्टिगोचर नहीं हुई थी । बीजेपी के लोगों द्वारा और वह व्यक्ति जिसने पार्टी का निर्माण किया उन्होंने इशारों में देश में इमरजेंसी की आहट की बात कही है, वह तो INC के नहीं थे ।
जब देश में कांग्रेस मुक्त भारत की बात की जाती है तो निश्चित लोग सत्ता में बैठे लोग से अपेक्षा या सत्ता के बारे में आलोचना ज्यादा करेगें । आलोचना रचनात्मक भी हो सकता है और गैररचनात्मक भी । इसमें सत्ता में बैठे लोगों को साहिष्णुता दीखानी होगी लेकिन किसी भी मुद्दों को आर एस एस और इससे जुड़े संगठन और बीजेपी के प्रवक्ता ऐसे react करते हैं कि संप्रदाय या प्रगतिशील विचार के विपरीत की जल्दबाज़ी या समाज में कड़वाहट घोलनेवाला संवाद बन जाता है । बहुत से मुद्दों पर घर के मालिक को चुप्पी साधनी पड़ती है । अरे भाई राजधर्म वाजपेयी से अच्छा किसी ने नहीं निभाया और वह भी देश के बीजेपी के प्रधानमंत्री के रूप में ।
मैं RSS पर आलोचना किये और कुछ लोग/ संगठन तमतमा जायेगें। मुझे फिरकापरस्त या देशद्रोही बतलाया जायेगा । विचारों की अभिवयक्ति स्वच्छंदता यही तो प्रजातंत्र की खूबसूरती है । देश की आज़ादी के समय यह संगठन कहाँ था । बहुत सारे संगठन देशहित में कार्य कर रहे हैं । थोड़े देर के लिए लोग /संगठन की बात मान भी लें तो यह भी एक संगठन है ।फिर मेरी आलोचना से उद्वेलित क्यों होते हैं । मैं पूरी तरह से RSS को नाकारा है क्या? मैंने कुछ बानगी प्रस्तुत की और आपलोग उद्वेलित हो जायेगें। यही है फाँसीवाद । सहिष्णुन्ता और धैर्य बनाना पड़ेगा । मैं आपलोग के किसी भी शब्दों को बुरा नहीं मानता । मैं तो अपना नज़रिया रख रहा हूँ ।
बिहार चुनाव के बाद आपलोग मेरी बात मान लेंगे कि पूरे भारत में बीजेपी बनाम गैर बीजेपी बाद की राजनीति में गैर बीजेपी बाद की राजनीति का केंद्र बिंदु बिहारी नीतीश कुमार होंगे ।
आप अगर बिहार में किसी खास जाति बिशेष के होंगे तब INC की प्रसिंगकता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा नहीं कर देगें । मैं आपके साथ श्री बाबू जी का उदहारण पॉजिटिव रूप में दिए और मुझे/ बिहार में जाति वाद का मुलम्म्मा मुझ पर मढ़ दिया जायेगा। मांझी बाद/ पासवान बाद/कुश्वाहाबाद/ बीफ बाद / आरक्षणबाद क्या है ? खैर चुनाव बाद आप स्वयं देखेगें । चुनाव में कौन क्या तिकड़म या गठबंधन बनता है यह शुद्ध राजनीतिक विषय है । युद्ध में सब कुछ जायज माना गया है ।
जब देश में कांग्रेस मुक्त भारत की बात की जाती है तो निश्चित लोग सत्ता में बैठे लोग से अपेक्षा या सत्ता के बारे में आलोचना ज्यादा करेगें । आलोचना रचनात्मक भी हो सकता है और गैररचनात्मक भी । इसमें सत्ता में बैठे लोगों को साहिष्णुता दीखानी होगी लेकिन किसी भी मुद्दों को आर एस एस और इससे जुड़े संगठन और बीजेपी के प्रवक्ता ऐसे react करते हैं कि संप्रदाय या प्रगतिशील विचार के विपरीत की जल्दबाज़ी या समाज में कड़वाहट घोलनेवाला संवाद बन जाता है । बहुत से मुद्दों पर घर के मालिक को चुप्पी साधनी पड़ती है । अरे भाई राजधर्म वाजपेयी से अच्छा किसी ने नहीं निभाया और वह भी देश के बीजेपी के प्रधानमंत्री के रूप में ।
मैं RSS पर आलोचना किये और कुछ लोग/ संगठन तमतमा जायेगें। मुझे फिरकापरस्त या देशद्रोही बतलाया जायेगा । विचारों की अभिवयक्ति स्वच्छंदता यही तो प्रजातंत्र की खूबसूरती है । देश की आज़ादी के समय यह संगठन कहाँ था । बहुत सारे संगठन देशहित में कार्य कर रहे हैं । थोड़े देर के लिए लोग /संगठन की बात मान भी लें तो यह भी एक संगठन है ।फिर मेरी आलोचना से उद्वेलित क्यों होते हैं । मैं पूरी तरह से RSS को नाकारा है क्या? मैंने कुछ बानगी प्रस्तुत की और आपलोग उद्वेलित हो जायेगें। यही है फाँसीवाद । सहिष्णुन्ता और धैर्य बनाना पड़ेगा । मैं आपलोग के किसी भी शब्दों को बुरा नहीं मानता । मैं तो अपना नज़रिया रख रहा हूँ ।
बिहार चुनाव के बाद आपलोग मेरी बात मान लेंगे कि पूरे भारत में बीजेपी बनाम गैर बीजेपी बाद की राजनीति में गैर बीजेपी बाद की राजनीति का केंद्र बिंदु बिहारी नीतीश कुमार होंगे ।
आप अगर बिहार में किसी खास जाति बिशेष के होंगे तब INC की प्रसिंगकता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा नहीं कर देगें । मैं आपके साथ श्री बाबू जी का उदहारण पॉजिटिव रूप में दिए और मुझे/ बिहार में जाति वाद का मुलम्म्मा मुझ पर मढ़ दिया जायेगा। मांझी बाद/ पासवान बाद/कुश्वाहाबाद/ बीफ बाद / आरक्षणबाद क्या है ? खैर चुनाव बाद आप स्वयं देखेगें । चुनाव में कौन क्या तिकड़म या गठबंधन बनता है यह शुद्ध राजनीतिक विषय है । युद्ध में सब कुछ जायज माना गया है ।
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