#vigilence_week
ख़ुदा झूठ न बुलबाये कुछ अंश जीतेन्द्र भाई के चुराए हुए-----
सरकार भी हद करती है।साल में एक बार विजिलेन्स के नाम पर अपने कर्मचारियों को कसम खिलाती है कि अब से ईमानदार हो जायेंगे ! एक बड़ा वाला अफसर अपने छोटे-छोटे अफसरों-कर्मचारियों को शपथ दिलाता है कि अब से शुद्ध तरीके से ‘सत्यनिष्ठा’रखेंगे।
ऊपर से पर्व-त्यौहार के इस खर्चे वाले मौसम में ऐसा धर्म का किस्सा सुनाना ठीक है क्या !वैसे शपथ की भाषा इतनी क्लिष्ट होती है कि समझने में दिल खपाने से अच्छा है बुदबुदा लें । काम भी शपथ का हो जायेगा और शपथ नहीं खाये रहने के कारण साल भर ईमानदारी से चांदी के चम्मच से चाँदी काटते रहेगें
अरे भाई !ये तो देखो कि जिसको शपथ दिला रहे हो,वो शपथ लेने के लिए अधिकृत भी है कि नही।कोई भला आदमी अगर शपथ को सीरियसली ले ले तो पता नही बीबी-बच्चे क्या करें उसका...सोंच के ही दिल दहल जाता है..
नौकर शपथ हमेशा गंगा माँ की कसमें खाकर लेता है लेकिन मालिक से ओझल होते हीं नौकर हेराफ़ेरी, तुमाफेरि, चोरी, डकैती.... तक की फिराक में रहता है ।
सरकारी नौकरी में सभी सेवक हैं। दुर्भाग्य तो यह है कि सेवक का असल मालिक पूरी सेवा में मिलता हीं नहीं है । यहाँ नौकर नौकर को शपथ दिलाता है । जिस दिन नौकर को मालिक शपथ दिला दिया, माँ कसम बीबी तालाक ले लेगी, साली तो रहेगी लेकिन रोज़ नया पति ढूंढते फिरेगी ।माँ आधा निवाला खिला देगी ।
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