Thursday, January 16, 2025

हिन्दी महीना के अनुसार वर्जित खाने की बस्तु

*भारतीय जलवायु में स्वास्थ्य के प्रकृति के अचूक नियम*


○चैते गुङ ○बैशाखे तेल, ○जेठे पंथ ○असाढै बेल ।

○सावन साग ○भादो दही , ○क्वार करेला ○कातिक मही,

○अगहन जीरा ○पुष धनिया, ○माघे मिसरी ○फागुण चना ।।।

○ ईं बारह से देह बचाय तो घर वैद्य कबहूँ ना आय ।।

                                       (ग्रामीण कहावत)


      ●हिन्दी भावार्थ 


   *बारह महीनों में अलग अलग वो ऐसी चीजें जिनका हम परहेज करके निरोगी रह सकते हैं।*


 *१) चैत  - गुङ नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इस महीने का नया गुङ पथ्य नहीं होता।*


 *२) वैशाख  - तेल नहीं खायें क्योंकि वैशाख में जो पसीना निकलता हैं उन छिद्रों को तेल अवरूद्ध कर देती हैं।*


 *३) ज्येष्ठ  - पंथ यानी पथ - रास्ता पर पैदल नहीं चलना चाहिए क्योंकि इस महिने गर्मी बहुत ज्यादा होने से शरीर डिहाइड्रेशन  में आ जायेगा।*


 *४) आसाढ - बेल फल बहुत गुणकारी होकर भी आसाढ में खाने योग्य नहीं होता।*


 *५) श्रावण  - सावण में पत्ते वाले आहार न लें क्योंकि इस मास में बरसात के समय पृथ्वी गर्भीणी होकर अदृश्य असंख्य जीव पैदा करती हैं जिनके अंडज पत्तों पर भी होते हैं।*


 *६) भादो - इस महिने में दही के जो पथ्य बैक्टीरिया होते हैं वो ह्युमिडिटी के चलते जल्दी जल्दी बढ़कर खतरनाक हो जाते हैं।*


 *७) आसीन- करेला आसीन में पकाकर खाने योग्य नहीं रहता। करेला पितकारक होता हैं।*


 *८) कार्तिक  - कार्तिक में मही यानी मट्ठा ना खायें क्योंकि कार्तिक से हमें ठंडा नहीं गरम आहार शुरू कर देना चाहिए।*


 *९) अगहन - जीरा ना खायें क्योंकि जीरा प्रकृतिगत ठंडा होता हैं। जबकि अगहन में ठंड ही होती हैं।*


 *१०) पौष - पौष में धनिया ना खायें क्योंकि धनिये की प्रकृति ठंडी होती हैं। सर्दियों के इन दिनों में गर्म प्रकृतिगत व्यंजन खाना चाहिए ।गर्मियों में सिर्फ धनिये के लड्डू बनाकर खावें।*


 *११) माघ - माघ में मिश्री ना खायें । मिश्री की तासीर भी ठंडी होती हैं जो गरम ऋतू में धनिये के लड्डुओं के साथ खावें हैं।*


 *१२) फाल्गुन- फाल्गुन में चना ना खावें । एकदम नया चना गैस कारक होता हैं। फाल्गुन में वायुमंडल में भी इधर-उधर की बिना ठिकाने की हवा चलती रहती हैं। मौसम भी कभी कैसा तो कभी कैसा रहता हैं। चना वैसे भी गैस कारक होता है ।*

  

*इस प्रकार अगर आप अपथ्य का पालन करेंगे तो शरीर को जरूर सुरक्षित रख पायेंगे।*

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