सबसे पहले प्रशासनिक हस्तक्षेप को समझा जाय . भारत में आई ए स नाम की चिड़ियाँ को स्वतंत्रता के बाद ही ब्रिटेन उड़ जाना चाहिए था . परन्तु इसका घोसला इतना मजबूत था की दृढ़ राजनीति संकल्प के अभाव एवम सत्ता की लोलुपता ने इसके घोसले को और ताकतवर बना दिया है . भारत के विकास में आई ए स के बारे में यही कहावत चरितार्थ होती है " पढ़े फारसी बेचे तेल ". आज भारत के राजनीति को भी इससे निकलने या नाथने की अकुलाहट है .
विकास में भारतीय जाति द्वार विभिन्न पेशा से जुड़े लोगों की भूमिका बेहद महत्तवपूर्ण है . इसे भी अकुशल अभियंता की संज्ञा दी जा सकती है . आज भारत / बिहार इन अकुशल अभियंताओं की वजह से विश्व के आधुनिक निर्माण में अपनी पहचान बनाये हुए है . परन्तु इसे ही आज के विकाश में उपहास के रूप में उद्धृत किया जाता है . बिहारी शब्द राष्ट्र में और भारतीय शब्द विश्ब में गाली के रूप में प्रयुक्त किया जाता है. यही मिसाल अभियंताओं का राष्ट्र में है . सबसे न्यूनतम पगार पदाधिकारियों में इसकी है . सेवा सर्त तो एकदम खराब. अभियंताओं /अकुशल अभियंताओं के शोषण के देश में विकास की कोरी कल्पना ही की जा सकती है .
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