दशहरा के विजयादशमी के रावण वध (गाँधी मैदान ) , पटना की अविश्वसनीय घटना हजारों अवला , निःसहाय की रूदन - क्रंदन क्या सचमुच में प्रशासनिक विफलता का कारण है ? हम सचमुच में गिद्धों , चीलों ...का बिहार बनाते जा रहे हैं . हमारी अशिक्षा , गरीबी , अज्ञानता , दो जून रोटी की जुगाड मेंबरवश आखें सुकून का दो पल निहारता ......... मौत का साक्षात् पटना वध के आलिंगन पर सवार होकर हमलोगों को भविष्य के लिए सचेत कर गया . अक्सर भीड़ , अन्धविश्वास ने कई वार हमारी मौत लिखी है . आधुनिकता की चादर अभी भी हमें दो पल चैन की नींद सोने नहीं देता है . यह आधुनिक तंत्र हमें गहरी नींद में बार -बार सोने को मजबूर करता है ..छठ की काली शाम, मोदी का राजनीतिक मंच और आज पटना का वध ....पता नहीं हम कब जागेगें . अच्छा हुआ कुछ लोग हमेशा के लिए सो गए . मैं भी अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा हूँ .
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