Monday, December 23, 2024

क्या खाना सेहतमंद?

*कहते है कि अति हर चीज की बुरी होती है।*


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*कोइ भी खाना अधिक न खाए ।अपने पेट से थोड़ा कम ही खाए।*

*ज्यादा खाना खाने से acidity  और gas`की समस्या हो जाती है।*


*सुबह के समय `दूध के साथ नाश्ता  करे, दोपहर को 12:00 से 2:00  बजे  के बीच खाना खाए, फिर  रात के समय 07:00 बजे तक खाना खा लेना चाहिए।*


*(ध्यान रहे खाने मे नाश्ते मे सलाद अधिक होना चाहिए)*


*कभी कभी कुछ चीजें बहुत मनपसंद होने के कारण हम बहुत ज्यादा खा लेते हैं, अगर आपने ज्यादा खा ली हैं तो कैसे पचायें--*


1- *केले की अधिकता में दो छोटी इलायची खा लीजिये।*


2- *आम पचाने के लिए आधा चम्म्च सोंठ का चूर्ण और गुड फाक ले।*


3- *जामुन ज्यादा खा लिया तो 3-4 चुटकी नमक खा ले।*


4- *सेब ज्यादा हो जाए तो दालचीनी का चूर्ण एक ग्राम खा ले।*


5- *खरबूज के लिए आधा कप चीनी का शरबत*


6- *तरबूज के लिए सिर्फ एक लौंग*


7- *अमरूद के लिए सौंफ*


8- *नींबू के लिए नमक*


9- *बेर के लिए सिरका*


10- *गन्ना ज्यादा चूस लिया हो तो 4-5 बेर खा लीजिये*


11- *चावल ज्यादा खा लिया है तो आधा चम्म्च अजवाइन पानी से निगल लीजिये*


12- *बैगन के लिए सरसो का तेल एक चम्म्च*


13- *मूली ज्यादा खा ली हो तो एक चम्म्च काला तिल चबा लीजिये*


14- *बेसन ज्यादा खाया हो तो मूली के पत्ते चबाएं*


15- *खाना ज्यादा खा लिया है तो थोड़ी दही खाइये*


16- *मटर ज्यादा खाई हो तो अदरक चबाएं*


17- *इमली या उड़द की दाल या मूंगफली या शकरकंद या जिमीकंद ज्यादा खा लीजिये तो फिर गुड खाइये।*


18- *मुंग या चने की दाल ज्यादा खाये हों तो एक चम्म्च सिरका पी लीजिये*


19- *मकई ज्यादा खा गये हो तो मट्ठा पीजिये*


20- *घी या खीर ज्यादा खा गये हों तो काली मिर्च चबाएं*


21- *खुमानी ज्यादा हो जाए तो ठंडा पानी पीयें*


22- *पूरी कचौड़ी ज्यादा हो जाए तो गर्म पानी पीजिय*


*अगर सम्भव हो तो भोजन के साथ एक/आधे नींबू का रस एक कप गुन गुने पानी में मिला कर पीजिये या भोजन में निचोड़ लीजिये , खाया पिया सब पच भी जाएगा और 8०% बीमारियों से भी बचे रहेंगे।*


(ज्यादे खाने से बचे)

Sunday, March 24, 2024

भारत की विकास का रोड़ा

 आज ७७ वर्ष बीत गए भारत का निर्माण हुए पर उसी समय चीन और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद असहाय जापान की तुलना में आज भी देश प्रगति का बाट जोह रहा है।

आज भारत का स्कील्ड, टेक्नोक्रेट, scientist, डॉक्टर आईटी पर्सनल और उच्च शिक्षा हेतु छात्र विदेश में पलायन को मजबूर हैं।यदि आपको भारत की स्थिति समझनी है तो कभी फुर्सत में समय निकालकर  इस प्लेटफार्म के सभी लोग जो अपने को शिक्षित या मध्यम वर्गीय कहते हैं वह सोंचे कि आप अपने बच्चे की शिक्षा सरकारी स्कूल में कराते हैं । हम में से कितने व्यक्ति निजी स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है ? अब जब हमारी सरकारी स्कूल और सरकारी नौकरी प्राप्त हो गई तब क्या हमारे गाँव के लोग जो अधिकांश ग़रीब हैं वह सक्षम हैं कि वह निजी स्कूल में फ़ीस देकर शिक्षा के भारी भरकम राशि का वहन कर सके ।

हम जब व्यक्तिगत रूप में तुलनात्मक आर्थिक रुप से संपन्न हो गये तब देश प्रेम जाग गया । अगर सचमुच में देश प्रेम जाग जाता तो कितने अशिक्षित अपने ग्रामीण या घरेलू सेवक या अपने समाज के लोगों को हम शिक्षित कर पाये ।यही नहीं अलबत्ता हमलोगों ने स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार में अपने बच्चों को पिछड़ते देखकर हम में से कई ने निजीकरण की नींव के रूप में उच्च पैसे से बच्चों को शिक्षित करने के लिए निजी शिक्षण संस्थानों का ईजाद किया । इससे double फ़ायदा बिज़नस का और पैसों या सामंतबाद के पोषक के बच्चों के प्रतियोगिता में पिछड़ने पर कैपिटेशन फ़ीस और उच्च शिक्षा का नया दरवाज़ा खोलना । फिर जब अक्षम धनाढ्य के बच्चे पढ़ जायें और फिर सरकारी नौकरी में पिछड़ने लगे तो नौकरी के स्थान पर सरकारी पदों में कटौती के साथ निजीकरण कन्सल्टेंसी और सरकारी कार्यों को निजीकरण के हाथों में सौंपने का सुनियोजित व्यापार जिसका संचालन फिर वही अक्षम निजी क्षेत्रों से उच्च शिक्षा प्राप्त किए धनाढ्य के बच्चे CEO के रूप में व्यापार का मॉडल शुरू किया । इस व्यवस्था ने सभी मध्यम वर्गीय, ग़रीब किसान, मज़दूर के लिए शिक्षा और रोज़गार को सरकारी स्कूल की बदतर होती हालात ने ग़रीब से दरिद्र होने पर मजबूर करने लगा । यही नहीं किसान की घटती औसत समानुपातिक आमदनी और सरकारी सेवा में बेरोज़गारी ने लोगों को जीविकोपार्जन के लिए ही तड़फड़ाते रहना पड रहा है ।


हमलोग की देश सेवा  और देश प्रेम इतना मज़बूत है कि जब अपने बच्चों को भारत के निजी या सरकारी संस्थानों में शिक्षा या रोज़गार का योग्यता के अनुसार मासिक आमदनी नहीं मिलने पर बच्चों को GRE, TOFEL से वैदेशिक संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर विदेश या MNC में नौकरी के लिए प्रोत्साहित करने में लगे हैं। यह हम मध्यम वर्गीय व्यक्ति की एक प्रकार की मजबूरी भी सरकारी नौकरी या निजीकरण में योग्यता के अनुसार रोज़गार न मिलने पर बन गई है ।


अब प्रश्न है उद्योग का ? टाटा और बिरला समूह के उद्योग घराने को छोड़कर अधिकांश उद्योगपति के द्वारा देश के प्रकृति प्रदत्त पदार्थ, खनिज, समुद्र, पत्थर,  खाद्य सामग्री , कृषि उत्पादों का दोहन कर रोज़गार में लगे व्यक्ति की मजबूरी का शोषण कर उत्पाद का  मूल्य अधिक मुनाफ़ा पर व्यवसाय कर दिन दूना दूना तरक़्क़ी कर रहा है पर देश या पिछड़ेपन के लिए कोई भी सार्थक प्रयास नहीं की गई है या की जा रही है ।


*अब तो स्वास्थ्य चिकित्सा, जाँच और दवा भी कॉरपोरेट की गिरफ़्त में अपने जीवन को सौंप कर तमाशबीन बन कर मारने का इंतज़ार करने पर मजबूर होना एक मात्र मार्ग बच गया है ।*


*Public system का निजीकरण एक नये प्रकार की ग़ुलामी को जन्म देता है । निजी संस्थान या उद्योग तभी देश हित में रहेगा जब तक उसकी प्रतियोगिता सरकारी सक्षम संस्थान या अन्य निजी संस्थान की भी मौजूदगी होगी ।*